शादी के मौकों पर गानों की अपनी एक अलग अहमियत होती है. रस्मों के हिसाब से फिल्मी गाने फिट हो जाते हैं. बॉलीवुड के कई ऐसे गाने हैं जो शादी की रस्मों में जरूरी बन चुके हैं. इन गानों के बिना ये रस्में फीकी सी लगती हैं. ऐसा ही एक गीत नील कमल फिल्म का रहा है. 1968 में रिलीज हुई इस रोमांटिक थ्रिलर को दर्शकों का खूब प्यार मिला था. इसका म्यूजिक और कहानी दोनों ही अलग थे. हालांकि इस फिल्म का एक गाना आज 54 साल बाद भी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बना हुआ है. यह गाना है ‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझे सुखी संसार मिले.'
यह वो गाना है जो विदाई के समय अकसर शादियों में सुना जा सकता है. इस गाने से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया भी है. बताया जाता है कि इस इमोशनल गाने को गाते समय मोहम्मद रफी अपने इमोशंस पर काबू नहीं पाए थे. उन्होंने जैसे ही गीत को गाना शुरू किया वह भावनाओं में उलझते चले गए. वह गाते जा रहे थे और उनका गला भरता जा रहा था. इस गाने का अंत होते-होते वह रोने लगे थे. न सिर्फ मोहम्मद रफी की आंखें इस गाने को गाते समय नम हो गईं बल्कि यह फिल्म जब रिलीज हुई थी इसने हर उस पिता की आंखों को नम कर दिया, जिसने अपनी बेटी की डोली खुद अपने हाथों से विदा की.
‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझे सुखी संसार मिले' का म्यूजिक रवि ने दिया जबकि इसके लिरिक्स साहिर लुधियानवी ने लिखे. नील कमल फिल्म को राम महेश्वरी ने डायरेक्ट किया था. फिल्म में राज कुमार, वहीदा रहमान, मनोज कुमार और बलराज साहनी लीड रोल में थे. इस गीत को बलराज साहनी और वहीदा रहमान पर फिल्माया गया था. बाप-बेटी के बॉन्ड और बेटी के विदाई के इस सीन को बलराज साहनी ने अपनी अदाकारी के जादू से जिंदा कर दिया था. वहीदा रहमान की भी कमाल की एक्टिंग थी तभी तो उन्हें उस साल के बेस्ट एक्ट्रेस के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया था. फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की फेहरिस्त में भी शामिल हुई.