तीन लड़के, तीनों कड़के, फिर फंसे इस लड़की के फेर में, याद आया इस फिल्म का नाम जो कॉलेज के दिनों की यादें कर देती है ताजा

तीन लड़के, कॉलेज के दिन और फाका-मस्ती. इस फिल्म ने 1980 के उस दौर को दिखाया जब जिंदगी बहुत तेज नहीं थी और दिल्ली की पृष्ठभूमि में रची गई इस फिल्म को आज भी खूब देखा जा जाता है.

Advertisement
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

साल 1981 में आई सई परांजपे की फिल्म 'चश्मेबद्दूर' न सिर्फ उस दौर की बल्कि बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है. 'चश्मेबद्दूर' में फारुख शेख, राकेश बेदी और रवि वासवानी की तिकड़ी ने जमकर धमाल मचाया था. एक्टर्स के शानदार अभिनय और कहानी के बल पर इस फिल्म को दर्शकों का खूब प्यार मिला. फिल्म के रिलीज के लगभग 42 साल बाद हम इससे जुड़े कुछ बेहद दिलचस्प किस्से लेकर आए हैं, जिनसे आप अब तक अनजान थे.

इस फिल्म में दीप्ति नवल लीड रोल में थीं. उनकी खूबसूरती और अदायगी ने दर्शकों का दिल जीत लिया था, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस फिल्म के लिए पहले पूनम ढिल्लो को साइन किया जाना था. चूंकि बात नहीं बन पाई, ये फिल्म दीप्ति की झोली में आ गई और ये उनके करियर की सबसे सफल फिल्मों में शुमार है.

इस फिल्म का टाइटल पहले धुआं- धुआं रखा जाना था. लेकिन बाद में मेकर्स ने चश्मेबद्दूर नाम फाइनल किया. इस फिल्म से ही फारूक शेख और दीप्ति नवल की जोड़ी बनी जो आगे जाकर सुपरहिट साबित हुई. दोनों ने साथ-साथ (1982), कथा (1983), किस्से ना कहना (1983), रंग बिरंगी (1983) और फासले (1985) जैसी कई फिल्मों में साथ काम किया. उनकी साथ में आखिरी फिल्म 2013 में लिसन...अमाया (2013) थी. मजेदार संयोग था कि इसी साल चश्मेबद्दूर का रीमेक रिलीज हुआ, जिसका निर्देशन डेविड धवन ने किया था.

Featured Video Of The Day
NIA ATS Raids: Delhi के Old Mustafabad से एक संदिग्ध गिरफ्तार, पूछताछ जारी