हीरोइन मटेरियल नहीं बोलकर फिल्म से निकाला, बाद में ये लड़की बनी 'जुबली गर्ल', किया धर्मेंद्र-राजेश खन्ना संग काम...पहचाना क्या?

इस तस्वीर में शास्त्रीय नृत्य करती नजर आ रही बच्ची अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री हैं, जिन्हें फिल्म की सफलता की गारंटी माना जाता था. क्या आपने इन्हें पहचाना?

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ये बच्ची बड़ी होकर बनी बॉलीवुड की सुपरस्टार
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के बचपन की कई तस्वीरें नजर आती रहती हैं. इस तस्वीर में शास्त्रीय नृत्य करती नजर आ रही बच्ची अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री हैं, जिन्हें फिल्म की सफलता की गारंटी माना जाता था. उनकी हिट फिल्मों की लाइन इतनी लंबी थी कि उन्हें ‘जुबली गर्ल' कहा जाता था. 1060 से 70 तक के दशक में बॉलीवुड पर राज करने इस अभिनेत्री के साथ उस समय का हर हीरो काम करने की तमन्ना रखता था. शम्मी कपूर, शशि कपूर राजेश खन्ना, धमेंद्र, जितेंद्र तक इनके दीवाने थे. एक्टर से लेकर फैंस तक इनसे शादी करने के सपने देखते थे, लेकिन वे आज भी अविवाहित हैं. यह हैं हिंदी फिल्मों की सफलतम अभिनेत्री आशा पारेख

कभी फिल्म से निकाला गया

आशा पारेख ने 10 साल की उम्र से फिल्मों में काम करना शुरू किया था. बाद में बतौर अभिनेत्री उन्होंने नासिर हुसैन की फिल्म ‘दिल देके देखो' किया और फिल्म की सफलता ने उन्हें सितारा बना दिया. हालांकि इसके पहले विजय भट्ट ने उन्हें अपनी फिल्म से यह कह कर निकाल दिया था कि वह अभिनेत्री बनने के लायक नहीं हैं. इसके बाद नासिर हुसैन की कई फिल्मों में ने आशा पारेख ने काम किया. इनमें उस जमाने की हिट फिल्में 'जब प्यार किसी से होता है', 'फिर वही दिल लाया हूं', 'तीसरी मंजिल', 'बहारों के सपने, 'प्यार का मौसम' और 'कारवां' शामिल हैं.

मिला 'जुबली गर्ल' का नाम

1960 से 70 के दशक में आशा पारेख को फिल्म के हिट होने की गारंटी माना जाता था. वे अपने डांस के लिए भी मशहूर हुई और शम्मी कपूर के साथ उनकी डांसिंग जोड़ी ने खूब तहलका मचाया. उनके हिट फिल्मों के कारण उन्हें ‘हिट गर्ल'और ‘जुबली गर्ल' जैसे नाम मिले. उन्होंने कई गंभीर फिल्मों में भी काम किया जिनमें ‘दो बदन', 'चिराग' ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की' शामिल हैं. फिल्म 'कटी पतंग' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष

बता दें कि आशा पारेख को पद्मश्री, फिल्म फेयर लाइफटाइम अवार्ड और अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. वे सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष बनीं और सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रही हैं.

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