हिंदी सिनेमा में कई दशकों तक काम करने वाले अभिनेता ए.के. हंगल, शोले और दीवार जैसी ऐतिहासिक फिल्मों में अपनी यादगार सहायक भूमिकाओं के जरिए घर-घर में मशहूर हो गए. हंगल का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था. उन्हें अपने कम्युनिस्ट विचारों के कारण कराची में जेल जाना पड़ा और पाकिस्तानी नागरिकों से मेलजोल रखने के कारण शिवसेना ने उन पर ‘प्रतिबंध' लगा दिया था. उन्हें पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था. लेकिन अपने जीवन के अंतिम समय में, उन्हें आर्थिक रूप से बहुत परेशानी हुई. उनके कई पुराने सहयोगियों ने उनकी मदद की. लेकिन उनके अंतिम संस्कार में कई बड़े सितारे शामिल नहीं हुए, जिनके साथ उन्होंने वर्षों तक काम किया था. हंगल का 2012 में 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
पाकिस्तान की जेल में हुए बंद
रेडिफ के साथ 1997 के एक इंटरव्यू में एके हंगल ने कहा था, "विभाजन के बाद मैं पाकिस्तान में ही रहा, लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा के कारण मुझे गिरफ़्तार कर लिया गया. मैंने दो साल जेल में बिताए. मुझे अक्सर पीटा जाता था. मुझे पाकिस्तान छोड़कर भारत जाने के लिए कहा गया. मुझे पाकिस्तान छोड़ने के लिए 12 घंटे का समय दिया गया."
20 रुपए लेकर आए मुंबई
उन्होंने आगे कहा, “मैं अपनी बहन के पास नई दिल्ली जाना चाहता था, लेकिन मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं अपनी जेब में 20 रुपये लेकर मुंबई आया था. तब मेरी उम्र 21 साल थी. मैं कराची के कुछ दोस्तों से मिला और उन्होंने मेरे परिवार और मेरा ख्याल रखा. जल्द ही, मुझे एक दर्जी की नौकरी मिल गई और मुझे 500 रुपये प्रति माह मिलते थे. 1949 के उन दिनों में, यह एक बड़ी रकम थी. मेरे पास पटौदी के नवाब और अंग्रेजों जैसे अमीर ग्राहक हुआ करते थे। मुझे हर समय आकर्षक दिखना था, इसलिए मैं हमेशा काम पर सूट पहनता था.”
ये रहीं यादगार फिल्में
इसके बाद एक अभिनेता के रूप में हंगल का करियर आगे बढ़ा. वह अभिमान, अनुभव, दीवार, शोले, आंधी, नमक हराम, आप की कसम, शागिर्द, मेरे अपने, परिचय, दाग, जोशीला, हीरा पन्ना, जवानी दीवानी, गरम हवा, बावर्ची, कोरा कागज, चित चोर और सत्यम शिवम सुंदरम जैसी फिल्मों में नजर आए. उनकी कुछ सबसे यादगार अंतिम भूमिकाएं फ़िल्म लगान और पहेली में आईं. कहा जाता है कि अपने करियर के दौरान उन्होंने 300 फिल्मों में काम किया.
झेली आर्थिक तंगी
1993 में, पाकिस्तानी नागरिकों के साथ बातचीत करने और वीजा मांगने के लिए शिवसेना ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिंदगी के आखिरी पड़ाव में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. तब अमिताभ बच्चन और करण जौहर जैसे लोगों ने उनकी मदद की थी.