बॉलीवुड में 70 और 80 के दशक में अपनी दमदार एक्टिंग और हैंडसम पर्सनैलिटी की वजह से छा जाने वाले एक्टर विनोद खन्ना को उनके फैंस आज भी याद करते हैं. इस हैंडसम हंक पर उस जमाने में लाखों लड़कियां मरती थीं. विनोद ने अपने अंदाज से दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया था और कई बेहतरीन फिल्में दीं. हालांकि विनोद खन्ना ने करियर के पीक पर सिनेमा को अलविदा कह कर सभी को चौंका दिया. उन्होंने अचानक संन्यास लेने का फैसला ले लिया और आश्रम में रहने चले गए.
5 साल ओशो के आश्रम में रहे विनोद
विनोद खन्ना ओशो आचार्य रजनीश से बेहद प्रभावित थे और अक्सर शूटिंग के दौरान भी उनके वीडियोज देखा करते थे. जब विनोद खन्ना की मां का निधन हुआ तो वो परेशान रहने लगे और बुरी तरह टूट गए. 1982 में एक्टर ने एक ऐसा फैसला लिया, जिससे उन्होंने सभी को हैरान कर दिया. विनोद ने फिल्मों से संन्यास ले लिया और देश से बाहर ओशो के आश्रम में रहने चले गए. वह आश्रम में जाकर सन्यासी बनकर रहने लगे. वह इस आश्रम में माली बनकर रहे.
1987 में फिर की वापसी
ओशो के आश्रम में 5 साल का समय बिताने के बाद साल 1987 में विनोद ने वापसी की और फिर से बॉलीवुड में सक्रिय हुए. उन्होंने फिल्म 'इंसाफ' में काम किया, लेकिन ये कुछ खास चली नहीं. इस दौरान फिरोज खान ने उनकी मदद की और विनोद और माधुरी दीक्षित को लेकर फिल्म दयावान बनाई. इसी बीच विनोद खन्ना ने कविता दफ्तरी से दूसरी शादी कर ली. ब्लड कैंसर की वजह से अप्रैल 2019 में विनोद खन्ना की मौत हो गई.