बॉलीवुड के बारे में कहा जाता है कि यहां मेहनत के साथ साथ किस्मत का भी सिक्का चलता है. एक लड़का इलाहाबाद से मुंबई नगरी आता है और अपने सांवले रंग और साधारण नैन नक्श के बावजूद हीरो बनना चाहता है. उसका लंबा कद उसका साथ नहीं देता और कुछ फिल्में करने के बाद वो मायूसी से लौटने की तैयारी करता है. लेकिन शायद किस्मत उसे नाकाम हीरो की बजाय कुछ और ही बनाना चाहती थी. वापसी की ट्रेन में बैठने से ऐन पहले उसे एक फिल्म का ऑफर मिलता है और ये फिल्म उसके सुपरस्टार बनाने के रास्ते खोल देती है. इसके बाद दशकों तक ये एक्टर बॉलीवुड का बेताज बादशाह बना रहता है. अगर आप इस फोटो में मां और भाई के बीच में बैठे इस मासूम से लड़के को पहचान पा रहे हैं तो आप वाकई इसके फैन हैं.
कई नाकाम फिल्मों के बाद मिली पहली हिट फिल्म
जी हां बात हो रही है बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की. इस फोटो में टीनएज अमिताभ बच्चन अपनी मां तेजी बच्चन और भाई अजिताभ बच्चन के बीच में बैठे दिख रहे हैं. इस वक्त उनकी उम्र 15 साल के आस पास होगी. इलाहाबाद से एक्टर बनने का सपना लेकर मुंबई आए अमिताभ ने हिट होने के लिए कई पापड़ बेले. लेकिन उनकी किस्मत बदली फिल्म जंजीर से. प्रकाश मेहरा की ये फिल्म एक गुस्सैल पुलिस वाले की कहानी कहती है जो नाइंसाफी देख नहीं सकता. इस फिल्म में हीरो किसी रोमांटिक रोल में नहीं था और इसलिए हीरो पर कोई गाना नहीं था. ऐसे में उस वक्त के सभी सुपरस्टार ने इस फिल्म के लिए मना कर दिया. इसके बाद प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को ये रोल दिया. इस फिल्म ने उस वक्त बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया और इसके बाद अमिताभ पर्दे के एंग्री यंग मैन बन गए.
मां की थी इंदिरा गांधी से दोस्ती
अमिताभ बच्चन के परिवार की बात करें तो उनके पिता हरिवंश राय बच्चन जाने माने कवि थे. उनकी मां तेजी बच्चन एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ साइकोलॉजी की प्रोफेसर थीं. कहते हैं कि तेजी बच्चन इंदिरा गांधी की बेहद करीबी दोस्त थीं. इसी के चलते इंदिरा के बेटे राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन भी अच्छे और करीबी दोस्त बन गए थे. दोनों परिवारों का एक दूसरे के घर आना जाना भी था. कहा जाता है कि जब राजीव गांधी, सोनिया गांधी से शादी करना चाहते थे तो इंदिरा गांधी शुरू में इसके लिए तैयार नहीं थी. राजीव गांधी ने अपने दिल की बात तेजी बच्चन से कही और उन्होंने इंदिरा गांधी से बात करके उनको मनाया.