बॉलीवुड फिल्म मेकर फराह अली खान जो फिल्म मेकिंग के मामले में सबसे बड़े नामों में से एक हैं को सक्सेस की राह में कई चैलेंजेस का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए पैसे का इंतजाम करने के उन हालातों से आज इंडस्ट्री का बड़ा नाम बनने तक का सफर तय किया है. 9 जनवरी 1965 को जन्मी फराह खान कुंदर जो 80 से ज्यादा फिल्मों में सौ से ज्यादा गानों की कोरियोग्राफी के लिए मशहूर हैं ने बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी जीता है. इसके अलावा उन्होंने अपने काम के लिए 6 फिल्म फेयर भी जीते हैं.
फराह खान के पिता कामरान खान बी-ग्रेड फिल्मों के डायरेक्टर, एक्टर और प्रोड्यूसर बनने से पहले एक स्टंटमैन थे. फराह की बात करें तो 2004 में उन्होंने शाहरुख खान और सुष्मिता सेन की लीड रोल वाली फिल्म 'मैं हूं ना' से डेब्यू किया. डायरेक्शन में किस्मत आजमाने से पहले वह कोरियोग्राफर थीं. फिल्म को रिलीज होने पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला और यह साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली इंडियन फिल्म बन गई. यह बेस्ट डायरेक्टर के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए फराह खान का पहला नॉमिनेशन था. इससे वह इस कैटेगरी में नॉमिनेशन पाने वाली दूसरी महिला डायरेक्टर बन गईं.
संघर्ष से भरी रही जिंदगी
फराह खान का सफर कभी आसान नहीं रहा. जब वह मनीष पॉल के पॉडकास्ट पर आईं तो उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बारे में बात की और खुलासा किया कि जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी जेब में सिर्फ 30 रुपये छोड़े थे. उसने कहा, “एक रात पहले उन्होंने ताश खेला था और उनकी जेब में महज 30 रुपये थे जो उन्होंने खेल में जीते थे. साजिद ने यह कहानी बिग बॉस पर भी शेयर की थी. जिसमें बताया गया कि कैसे उन्हें अपने पिता के अंतिम संस्कार का इंतजाम करने के लिए अलग-अलग जगह से पैसे इकट्ठा करने पड़े.
अपनी आर्थिक तंगी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “एक समय हमारी आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई थी कि हम अपने सामने के दरवाजे पर लगे ताले की मरम्मत भी नहीं करा सकते थे. इसलिए मेरी मां इसे बंद रखने के लिए नीचे एक पत्थर रख देती थी.”
फराह खान अब एक आलीशान जिंदगी जीती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके पास करीब 12 गाड़ियां हैं जिनमें दो सबसे महंगी पोर्श कारें भी शामिल हैं. उनका मुंबई में एक बंगला भी है.