कैदियों को सुधारने के लिए जेल से बाहर लाया था ये जेल वार्डन, सुधर गए कैदी लेकिन चली गई इसकी जान, पता है फिल्म का नाम?

Do Aankhen Barah Haath: एक जेल वार्डन छह खतरनाक कैदियों को लेकर ओपन प्रिजन के कॉन्सेप्ट पर काम करता है. वो कैदी तो सुधर जाते हैं, लेकिन जेल वार्डन जरूर अपनी जान से हाथ धो बैठा. जानते हैं इस फिल्म का नाम.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
ओपन प्रिजन पर बनी फिल्म, इसका एक गाना आज भी है हर किसी की पहली पसंद
नई दिल्ली:

Do Aankhen Barah Haath: एक जेल का वार्डन था. वो एक प्रयोग करना चाहता था. वो चाहता था कि जेल के कुछ सबसे खतरनाक कैदियों को जेल की दीवारों से बाहर लाकर खुले में रखा जाए और उनको सुधारा जाए. वो छह कैदियों को लेकर यह प्रयोग करता है और उनको लेकर एक जगह जाता है और वहां उनसे काम करवाना शुरू करता है. लेकिन इस तरह के कैदियों को सुधारना कोई आसान काम नहीं. वो कई दिक्कतों का सामना करता है और आखिर आते-आते वो कैदी तो सुधर जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसा होता है कि वह अपनी जान से हाथ धो बैठता है. बेशक इस तरह के तजुर्बे बहुत ही कम होते हैं लेकिन यह घटना रियल लाइफ की ना होकर रील लाइफ की है.

ओपन प्रिजन का प्रयोग और दो आंखें बारह हाथ
हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की यादगार फिल्म दो आंखें बारह हाथ की. दो आंखें यानी जेल वार्डन और बारह हाथ यानी वो छह कैदी जिन्हें लेकर वह आता है. इस फिल्म के गाने और कहानी सभी बॉलीवुड के इतिहास में सुनहरे इतिहास में दर्ज है. फिल्म की कहानी ओपन प्रीजन थीम पर थी. दो आंखें बारह हाथ साल 1957 में रिलीज हुई थी. जिसका निर्देशन वी शांताराम ने किया था. ये हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में गिनी जाती है.

दो आंखें बारह हाथ के एक्टर डायरेक्टर की आंख पर लगी चोट
दो आंखें बारह हाथ में वी. शांताराम ने जेल वार्डन का किरदार निभाया है. फिल्ममेकिंग और एक्टिंग को लेकर उनके जज्बे को इस बात ही समझा जा सकता है कि शूटिंगके दौरान उनकी एक आंख पर चोट लग गई थी. फिल्म के आखिरी में एक सीन है जहां जेल वार्डन बैलों से लड़ता है. इसी सीन को फिल्माते समय उनकी आंख पर चोट लग गई थी. इस फिल्म में वी. शांताराम को बैल से लड़ते हुए देखा जा सकता है. बताया जाता है कि फिल्म की सच्चा घटना पर आधारित थी और यह ब्रिटिशों के समय के महाराष्ट्र के स्वतंत्रपुर की बताई जाती है.

Advertisement

Advertisement

दो आंखें बारह हाथ को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
वी. शांताराम की दो आंखें बारह हाथ ऐसी फिल्म है जिसने दुनिया भर में खूब नाम कमाया. इसने 8वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सिल्वर बेयर और अमेरिका से बाहर बनी बेस्ट फिल्म के लिए सैमुअल गोल्डविन कैटगरी में गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीता.

Advertisement

Advertisement

दो आंखें बारह हाथ का म्यूजिक
दो आंखें बारह हाथ में वी. शांताराम, संध्या, बाबूराव पंढेरकर, उल्साह, और बी.एम. व्यास जैसे सितारे नजर आए. फिल्म के गाने खूब पसंद किए. इसका म्यूजिक वसंत देसाई ने दिया था. लता मंगेशकर का गाया ऐ मालिक तेरे बंदे हम तो आज भी खूब सुना जाता है. इसके अलावा सैयां झूठों का बड़ा और तक तक धुम धुम और उमड़ घुमड़कर आई रे घटा भी काफी लोकप्रिय गाने हैं.

Featured Video Of The Day
Delhi Air Pollution: प्रदूषण से कारोबारियों का भी बुरा हाल, 30 से 40 फीसदी घटा कारोबार | NDTV India