Oscars 2025: यह फिल्म थी ऑस्कर में नॉमिनेशन पाने वाली दूसरी फिल्म, चाइल्ड आर्टिस्ट को मिला था नेशनल अवॉर्ड,अब सड़कों पर करता है ये काम

Oscars Awards 2025: इस चाइल्ड एक्टर ने अवॉर्ड विनिंग फिल्म में काम किया और अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया. हम बात कर रहे हैं मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' की. 'सलाम बॉम्बे' मुंबई के स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है.

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Salaam Bombay Film: इरफान खान के शाथ शफीक
नई दिल्ली:

दुनिया भर की निगाहें सिनेमा के सबसे बड़े अवॉर्ड ऑस्कर पर टिकी थीं. हर तरफ ऑस्कर अवॉर्ड 2025 की धूम रही. जोर शोर से इसका आयोजन किया गया. यह 3 मार्च को लॉस एंजेलिस के डॉल्बी थिएटर में आयोजित किया गया. भारत की नजर भी इन दिनों ऑस्कर पर लगी हुई थी, लेकिन हम आज बताने जा रहे हैं, उस फिल्म के बारे में जो ऑस्कर तक पहुंची थी और फिल्म में काम करने वाले एक बच्चे की हर तरफ चर्चा हुई थी. आज भी ऑस्कर का जिक्र होता है तो उस फिल्म और उस चाइल्ड एक्टर की याद जेहन में ताजा हो जाती है. 

जी हां, हम बात कर रहे हैं उस चाइल्ड एक्टर की, जिसने अवॉर्ड विनिंग फिल्म में काम किया और अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया. हम बात कर रहे हैं मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' की. 'सलाम बॉम्बे' मुंबई के स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है. 1988 की फिल्म सलाम बॉम्बे (Salaam Bombay) अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाली भारत की दूसरी फिल्म थी. बाद में इसने द न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा द बेस्ट 1,000 मूवीज एवर मेड की सूची में जगह बनाई. इस फिल्म के लिए फिल्म के बाल कलाकार शफीक सैयद को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था.

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 इस फिल्म में काम करने वाले बाल कलाकार शफीक सैयद ने स्लम के बच्चे की जिंदगी को बेहतरीन तरीके से पर्दे निभाया. हालांकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता इस बाल कलाकार को सलाम बॉम्बे के बाद बॉलीवुड में कुछ खास काम नहीं मिला. घर चलाने को लिए शफीक ने काफी संघर्ष किया और काम की तलाश में संघर्ष करते रहे. एक सितारा चमका, जिसे सराहा गया, लेकिन एक दिन वह वापस गुमनामी के अंधेरे में खो गया.

शफीक सैयद बचपन में बैंगलोर से मुबई भाग आए थे. यहां एक महिला के जरिए मीरा नायर के संपर्क में आए और उन्हें सलाम बॉम्बे (Salaam Bombay) में यह रोल मिला. बाद में उन्होंने मीरा नायर की दूसरी फिल्म 'पतंग' में भी काम किया. हालांकि इन दो फिल्मों के बाद उन्हें बॉलीवुड में काम नहीं मिला तो वह वापस बैंगलोर चले गए. शफीक वहां ऑटो रिक्शा चलाते हैं. वह वहां काफी संघर्ष भरा जीवन जी रहे हैं, और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. .उन्हें 1989 में फिल्म के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था. 

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