साल 2005 में एक ऐसी फिल्म आई, जिसने महज 8 करोड़ रुपये के बजट में बनकर बॉक्स ऑफिस और दर्शकों के दिल- दोनों जगह अपनी मजबूत जगह बना ली. यह फिल्म थी ‘परिणीता (Parineeta)', जिसने न सिर्फ तीन गुना से ज्यादा कमाई की, बल्कि क्रिटिक्स से भी भरपूर सराहना पाई. शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के मशहूर बंगाली उपन्यास पर आधारित इस रोमांटिक ड्रामा को निर्देशित किया था प्रदीप सरकार ने, और निर्माता थे विधु विनोद चोपड़ा. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस हिट फिल्म के लिए विद्या बालन मेकर्स की पहली पसंद नहीं थीं.
ऐश्वर्या को लेना चाहते थे मेकर्स
फिल्म की कास्टिंग का सफर उतना आसान नहीं था जितना पर्दे पर उसका जादू दिखा. शुरुआती योजना में मेकर्स ने हीरोइन के लिए ऐश्वर्या राय का नाम सोचा था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी. इसके बाद कई ऑडिशन हुए. इतने कि गिनती 75 तक पहुंच गई, और हर बार रिजेक्शन मिला. आखिरकार, 76वें ऑडिशन में एक नए चेहरे विद्या बालन को मौका मिला, जो उस वक्त फिल्मों में पूरी तरह नई थीं.
आखिरी ऑडिशन ने बदली तकदीर
संगीतकार शांतनु मोइत्रा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि विद्या के लिए यह सफर बेहद चुनौतीभरा था. दबाव इतना था कि कई बड़ी एक्ट्रेसेस भी उसी रोल के लिए ऑडिशन दे रही थीं. 75वीं बार रिजेक्ट होने के बाद, खुद को हल्का करने के लिए विद्या एक ब्रायन एडम्स कॉन्सर्ट में चली गईं. लेकिन किस्मत ने करवट ली. अगले ही दिन का 'आखिरी' ऑडिशन उनकी जिंदगी बदल गया.
फिल्म को मिले 19 अवार्ड
‘परिणीता' में विद्या के साथ संजय दत्त और सैफ अली खान मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म के संगीत, संवाद और खूबसूरत सिनेमैटोग्राफी ने दर्शकों को पुराने जमाने के प्यार की सादगी और गहराई का अहसास कराया. महज 8 करोड़ में बनी इस फिल्म ने भारत और विदेश में मिलाकर करीब 24 करोड़ रुपये कमाए, और 19 बड़े अवॉर्ड अपने नाम किए, जिनमें विद्या को मिला फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड भी शामिल है.