शत्रुघ्न सिन्हा वैसे तो दमदार एक्टर हैं, लेकिन अपनी एक्टिंग से ज्यादा अपने डायलॉग्स और स्वैग के लिए मशहूर रहे हैं. जली को आग कहते हैं से लेकर छेनू आया तक के उनके डायलॉग आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर है. खामोश कहने का उनका अंदाज तो आज भी दोहराया जाता है. शत्रुघ्न सिन्हा को ऐसी ही पहचान देने वाली फिल्मों में एक ऐसी भी फिल्म का नाम शामिल है, जिसकी कहानी सुनते-सुनते शत्रुघ्न सिन्हा सो गए थे. कहानी सुनाने आए डायरेक्टर को लगा कि शायद शत्रुघ्न सिन्हा फिल्म नहीं करेंगे, लेकिन फिल्म की कहानी सुनते हुए सोने की वजह कुछ और थी.
ये थी वो फिल्म
जिस सुपरहिट फिल्म की कहानी सुनते-सुनते शत्रुघ्न सिन्हा सो गए थे, वो फिल्म है कालीचरण. इस फिल्म ने शत्रुघ्न सिन्हा को ऐसी पहचान दी थी कि उनके फैंस उन्हें बहुत समय तक कालीचरण के नाम से ही पहचानने लगे थे. इस फिल्म की कहानी सुनाने के लिए सुभाष घई बहुत समय तक शत्रुघ्न सिन्हा के पीछे पड़े रहे. बता दें कि सुभाष घई वही नामचीन डायरेक्टर हैं जो राम लखन, खलनायक जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं. उस वक्त सुभाष घई भी इंड्स्ट्री में ज्यादा पुराने नहीं थे. एक दिन सुभाष घई शत्रुघ्न सिन्हा के घर पहुंच गए और कहा कि जब तक कहानी सुना नहीं लेंगे वापस नहीं जाएंगे. शत्रुघ्न सिन्हा कहानी सुनने को तैयार तो हुए लेकिन बीच में ही सो गए.
इस वजह से आई नींद
असल में उस दौर में शत्रुघ्न सिन्हा का सितारा बुलंदी पर था. वो एक ही दिन में तीन तीन शिफ्ट में काम किया करते थे. इसलिए काफी ज्याद थक जाते थे. सुभाष घई रात में दो बजे उन्हें कहानी सुना रहे थे. और थके मांदे शत्रुघ्न सिन्हा नींद पर काबू नहीं रख पाए. हालांकि इसके बाद एनएन सिप्पी उन्हें मुंहमांगी फीस देने को तैयार हुए तब शत्रुघ्न सिंहा भी कालीचरण बनने को राजी हो गए.
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