क्या आउटसाइडर होने की सजा मिली नेशनल अवॉर्ड विजेता इस चाइल्ड एक्टर को? दुनिया भर में हुई थी सराहना, आज तंगहाली में गुजार रहा जिंदगी

'सलाम बॉम्बे' मुंबई के स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है. 1988 में आई यह फिल्म अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाली भारत की दूसरी फिल्म थी. इस फिल्म के लिए फिल्म के बाल कलाकार शफीक सैयद को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला..

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क्या आउटसाइडर होने की सजा मिली नेशनल अवॉर्ड विजेता इस चाइल्ड एक्टर को?
नई दिल्ली:

बॉलीवुड फिल्मों में चाइल्ड एक्टर्स का अलग ही जलवा रहा है. इन बात कलाकारों ने फिल्मों में अपनी एक अलग छाप छोड़ी. भले ही वो फिल्मी दुनिया से बाद में गायब हो गए, लेकिन वह अपनी दमदार एक्टिंग से सिनेमा के इतिहास में अमर हो गए. हम आज ऐसे ही चाइल्ड एक्टर की बात कर रहे हैं, जिसने अवॉर्ड विनिंग फिल्म में काम किया और अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया. वो चाइल्ड एक्टर हैं मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' में काम करने वाले चाइल्ड एक्टर शफीक सैयद..

'सलाम बॉम्बे' मुंबई के स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है. 1988 में आई यह फिल्म अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाली भारत की दूसरी फिल्म थी. बाद में इसने द न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा द बेस्ट 1,000 मूवीज एवर मेड की सूची में जगह बनाई. इस फिल्म के लिए फिल्म के बाल कलाकार शफीक सैयद को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. इस फिल्म में काम करने वाले बाल कलाकार शफीक सैयद ने स्लम के बच्चे की जिंदगी को इतनी बेहतरी से पर्दे निभाया कि उस दौर में उनके काम की देश- दुनिया में काफी सराहना की गई. Salaam Bombay का खास आकर्षण शफीक सैयद थे.

 हालांकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता इस बाल कलाकार को बाद में कोई काम नहीं मिला. इसकी वजह यह हो सकती हैं कि बॉलीवुड में उनका कोई गॉडफादर नहीं था. वह आउटसाइडर थे. ऐसे में वह जितनी जल्दी स्टार बनें, उतनी ही जल्दी सिनेमा से गायब भी हो गए. घर चलाने को लिए शफीक ने काफी संघर्ष किया. कई छोटे मोटे काम करने के बाद शफीक बाद में आटो चलाने लगे.  

कैसे मिला सिनेमा में काम 

शफीक सैयद बचपन में बैंगलोर से मुबई भाग आए थे. यहां एक महिला के जरिए मीरा नायर के संपर्क में आए और उन्हें Salaam Bombay में यह रोल मिला. बाद में उन्होंने मीरा नायर की दूसरी फिल्म 'पतंग' में भी काम किया. बाद में मई 2012 में वे कन्नड़ टेलीविजन धारावाहिक बनाने वाली प्रोडक्शन कंपनियों में सहायक के रूप में काम कर रहे थे. सैयद ने अपने जीवन की कहानी लिखी थी, जो 180 पन्नों में थी. इसका शीर्षक था आफ्टर सलाम बॉम्बे. वह शादीशुदा हैं और अपनी पत्नी, मां और तीन बेटों और एक बेटी के साथ शहर से 30 किलोमीटर दूर बैंगलोर के एक उपनगर में रहते हैं. वह वहां काफी संघर्ष भरा जीवन जी रहे हैं, और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. 

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