‘कभी तो नजर मिलाओ,' ‘तेरा चेहरा,' और ‘लिफ्ट करा दे' जैसे गीतों से लाखों दिलों को जीतने वाले अदनान सामी का 15 अगस्त को 54वां जन्मदिन है. उनकी मखमली आवाज और संगीत की प्रतिभा ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक खास मुकाम दिलाया, लेकिन उनका निजी जीवन और 230 किलो से 75 किलो तक का वजन घटाने का सफर किसी फिल्म की खूबसूरत कहानी से कम नहीं है. यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसने 230 से 75 के जंग को मजबूत इच्छाशक्ति से जीता.
साल 2006 में अदनान सामी का वजन 230 किलो था, जब डॉक्टर ने उनके पिता के सामने कठोर सच्चाई रखी. कहा, "अगर तुमने अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदली, तो छह महीने बाद तुम्हारे माता-पिता तुम्हें होटल के कमरे में मृत पाएंगे". यह सुनकर अदनान स्तब्ध रह गए. गुस्से और अविश्वास में उन्होंने एक बेकरी में जाकर खूब खाना खाया, लेकिन उस रात उनके पिता की आंखों में आए आंसुओं ने उन्हें झकझोर दिया था. पिता ने कहा, "मैं तुम्हें नहीं दफनाना चाहता, तुम मुझे दफनाना. एक पिता के लिए इससे बुरा दिन कोई नहीं हो सकता कि वह अपने बेटे को दफनाए". पिता की यह भावनात्मक अपील अदनान के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई.
इसके बाद अदनान वजन कम करने के सफर में निकल पड़े. ह्यूस्टन में एक न्यूट्रिशनिस्ट की मदद ली और अपनी जीवनशैली में बड़े बदलाव किए. उन्होंने चीनी, चावल, ब्रेड, तेल और शराब जैसी चीजों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. उन्होंने अपनी प्लेट में हाई-प्रोटीन, लो-कार्ब डाइट, जैसे सलाद, मछली, उबली दाल और बिना मक्खन वाले पॉपकॉर्न को शामिल किया.शुरुआती 40 किलो वजन घटने के बाद उन्होंने ट्रेनर के मार्गदर्शन में ट्रेडमिल, कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू की. पहले महीने में ही 20 किलो वजन कम हुआ और 16 महीनों में वह 155 किलो घटाकर 75 किलो तक पहुंच गए. अदनान कहते हैं, "वजन घटाना 70 प्रतिशत मानसिक और 30 प्रतिशत शारीरिक है. दिमाग को काबू करना सबसे बड़ी चुनौती थी".
15 अगस्त 1971 को लंदन में जन्मे अदनान सामी के पिता अरशद सामी खान पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी और मां नौरीन खान कश्मीरी मूल की थीं. अदनान ने तीन शादियां की, पहले जेबा बख्तियार से, जिनसे बेटा अजान सामी खान है, फिर सबा गलादरी से, और साल 2010 में रोया फरयाबी से, जिनसे बेटी मदीना है. अदनान का जन्म लंदन में हुआ. वह पाकिस्तान के निवासी थे, मगर दिल हमेशा भारत में बसा. साल 2016 में उन्होंने भारतीय नागरिकता ले ली. इसके बाद पाकिस्तान में उनकी जमकर आलोचना हुई, लेकिन भारत में उन्हें अपनापन मिला.
उनके सिंगिंग करियर की बात करें तो अदनान सामी ने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक गाने दिए हैं. साल 1986 में अपने पहले एल्बम ‘द वन एंड ओनली' से शुरुआत की. इसमें उनके साथ तबलावादक जाकिर हुसैन भी नजर आए थे. साल 1997 में आशा भोसले के साथ ‘कभी तो नजर मिलाओ' ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. उन्हें लोकप्रियता 'थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे' से मिली. साल 2000 में आए इस एल्बम में अदनान के साथ गोविंदा भी नजर आए थे. यह गाना आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. इसके अलावा अदनान 'ऑलवेज योर्स', 'तेरा चेहरा', 'कभी तो नजर मिलाओ' समेत कई हिट गाने गा चुके हैं. पंडित शिवकुमार शर्मा से शास्त्रीय संगीत सीखने वाले अदनान की पियानो पर महारत हासिल है. साल 2020 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया.