फिल्मी दुनिया में बहुत से चेहरे आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो बिना शोर किए, हर किरदार में जान डाल देते हैं. ये वो कलाकार होता है जो न तो बड़ी-बड़ी पार्टियों में नजर आता है, न ही लाइमलाइट में रहने की कोशिश करता है. लेकिन जब स्क्रीन पर आता है तो लोग उसकी एक्टिंग को भूल नहीं पाते. उसने धीरे-धीरे और चुपचाप बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई — बिना किसी शोर-शराबे के. यही नहीं, ये एक्टर कभी जाट फिल्म में नजर आया तो कभी हाईवे में. सरबजीत के अपने किरदार से तो इसने जमकर वाहवाही लूटी. क्या आप समझ पाए कौन है ये एक्टर?
क्या है मामला?
इस कमाल के अभिनेता का नाम है रणदीप हुड्डा. हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले रणदीप, डॉक्टर पिता और सामाजिक कार्यों से जुड़ी मां के बेटे हैं. उन्हें पैसों की कभी कमी नहीं रही, लेकिन जब वो पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया गए तो खुद को संभालने के लिए टैक्सी चलाई, रेस्टॉरेंट और कार वॉश में भी काम किया. इस स्ट्रगल ने उन्हें मजबूत और जमीन से जुड़ा इंसान बनाया.
संघर्ष के दिन?
बचपन में रणदीप की पढ़ाई हरियाणा के एक स्पोर्ट्स स्कूल में हुई, जहां उन्होंने तैराकी और घुड़सवारी में कई राष्ट्रीय पदक जीते. धीरे-धीरे उनका झुकाव थियेटर की ओर हुआ और वो स्कूल के नाटकों में भाग लेने लगे. परिवार चाहता था कि वो डॉक्टर बनें, लेकिन उन्होंने मार्केटिंग में ग्रेजुएशन और एमबीए किया. भारत लौटने के बाद कुछ समय एक एयरलाइन कंपनी में काम किया और फिर मॉडलिंग और थियेटर से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा.
बॉलीवुड डेब्यू
एक थियेटर प्ले के दौरान डायरेक्टर मीरा नायर की नजर रणदीप पर पड़ी और उन्होंने ‘मॉनसून वोडिंग' में उन्हें कास्ट किया. फिर आया 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई', जिसने उनके करियर को नई दिशा दी. इसके बाद 'हाईवे', 'सरबजीत', 'मैं और चार्ल्स', 'रंगरसिया', और 'साहब बीवी और गैंगस्टर' जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया. सलमान खान की 'सुल्तान' में भी उनका किरदार काफी चर्चा में रहा. कुछ समय पहले रिलीज हुई जाट में भी रणतुंगा का उनका किरदार पसंद किया गया.
और आखिर में...
दिलचस्प यह है कि रणदीप हुड्डा को राम गोपाल वर्मा की आग में गब्बर सिंह का रोल ऑफर किया गया था. लेकिन उन्होंने इश वजह से इसे करने से इनकार कर दिया था कि इसकी तुलना अमजद खान के रोल से की जाएगी. रणदीप हुड्डा ने साबित किया है कि वो उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं जो अपने काम से बोलते हैं. और, हर किरदार को जीते हैं.