बनना चाहती थी डॉक्टर, 10वीं की छुट्टियों में खेल-खेल में कर डाली पहली फिल्म, आज है बड़ी स्टार

इस एक्ट्रेस ने डेब्यू फिल्म दसवीं के पेपर के बाद साइन की थी. इन्हें अंदाजा तक नहीं था कि अब उनकी राह पूरी तरह बदलने वाली है.

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मनीषा कोइराला
नई दिल्ली:

मनीषा कोइराला एक नेपाल की रहने वाली हैं. हालांकि उनकी पहचान एक टॉप हिंदी एक्ट्रेस की है. इसके अलावा उन्होंने अपनी कुछ तमिल फिल्मों से भी दर्शकों के बीच खास जगह बनाई. उन्होंने नेपाली और अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया है. मनीषा कमर्शियल और इंडिपेंडेंट सिनेमा दोनों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं. अपने लंबे फिल्मी करियर में वह चार फिल्मफेयर अवॉर्ड समेत कई सम्मान पा चुकी हैं. 2001 में नेपाल सरकार ने उन्हें ऑर्डर ऑफ गोरखा दक्षिणा बहू से सम्मानित किया.

दसवीं की छुट्टियों में कर डाली पहली फिल्म

मनीषा कोइराला का जन्म नेपाल के विराटनगर में जाने माने राजनीतिक परिवार में हुआ. उनके पिता प्रकाश कोइराला एक राजनीतिज्ञ, पूर्व कैबिनेट मंत्री और नेपाल के प्रतिनिधि सभा के पूर्व सदस्य हैं. जबकि उनकी मां सुषमा कोइराला हाउस वाइफ थीं. उनका एक भाई सिद्धार्थ कोइराला है. सिद्धार्थ भी फिल्मों में काम कर चुके हैं. उनके परिवार के कई सदस्य राजनेता बने. उनके दादा बिश्वेश्वर प्रसाद कोइराला, 1950 के दशक के आखिर से 1960 के दशक की शुरुआत तक नेपाल के प्रधान मंत्री थे. उनके दो चाचा गिरिजा प्रसाद कोइराला और मातृका प्रसाद कोइराला भी नेपाल के प्रधान मंत्री थे. कोइराला ने अपनी शुरुआती पढ़ाई भारत में की. कुछ सालों तक अपनी नानी के घर वाराणसी में रहीं और बाद में दिल्ली और मुंबई में रहीं.

वाराणसी में घर पर रहते हुए उन्होंने दसवीं कक्षा तक वसंत कन्या महाविद्यालय में पढ़ाई की. अपने बोर्ड एग्जाम के बाद छुट्टियों के दौरान कोइराला ने एक्सपेरिमेंट के तौर पर एक नेपाली फिल्म में काम किया. ये बात साल 1989 की है और इस फिल्म का नाम था फेरी भेटौला.
डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली मनीषा अपनी आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गईं और धौला कुआं में आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) में पढ़ाई पूरी की.

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दिल्ली में अकेले रहने से उन्हें "स्ट्रॉन्ग और इंडिपेंडेंट" बनने में मदद मिली. दिल्ली में कोइराला ने कुछ मॉडलिंग असाइनमेंट किए लेकिन बाद में उन्होंने अपना फोकस एक्टिंग की तरफ कर लिया. इनमें से एक ऊन कंपनी के लिए था. एक्टिंग में अपना करियर बनाने का फैसला लेकर मनीषा मुंबई शिफ्ट हो गईं.

इसके दो साल बाद उन्होंने सुभाष घई की फिल्म सौदागर से हिंदी फिल्म में डेब्यू किया. यह कमर्शियली काफी सक्सेसफुल रही. इसके बाद ब्रेक लगा और एक के बाद एक फ्लॉप की झड़ी लग गई लेकिन रोमांटिक ड्रामा 1942: ए लव स्टोरी (1994) और तमिल भाषा बॉम्बे (1995) के साथ उन्होंने खुद को दोबारा एक लीड एक्ट्रेस के तौर पर एस्टैबलिश किया.

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