बॉलीवुड में कई स्टार्स की मौत एक मिस्ट्री बनकर रह गई. कई स्टार्स ऐसे भी रहे, जिन्होंने पूरी जिंदगी दौलत और शोहरत दोनों ही कमाए, लेकिन उनका अंत किसी फिल्म के दुखद सीन से कम नहीं रहा. बहुत कम लोग सईदा खान के बारे में जानते हैं. इस हसीना के साथ जो हुआ, उसे जानने के बाद किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. सईदा ने कम उम्र में ही एक्ट्रेस बनने का सपना देखा था. सईदा ने डायरेक्टर एचएच रवैल की फिल्म किशोर कुमार के साथ 'अपना हाथ जगन्ननाथ' और मनोज कुमार के साथ फिल्म 'कांच की गुड़िया' कर हिंदी सिनेमा में अपना सितारा चमकाया था. सईदा ने इन दोनों फिल्मों के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा था.
जिंदगी में आईं नई खुशियां
समय के साथ-साथ सईदा का चमकता सितारा धुंधला पड़ता गया. फिल्में मिलना बंद हुआ तो, बी ग्रेड फिल्म इंडस्ट्री में उतरना पड़ा. डूबते करियर के दौरान सईदा को फिल्म डायरेक्टर और निर्माता ब्रिज सरदाना से इश्क हो गया. इस कपल ने शादी रचाई और फिर इस शादी से दो बच्चे भी हुए. बेटी की नाम नम्रता और बेटे का नाम कमल सदाना (फिल्म रंग के एक्टर).
बेटे के बर्थडे पर पति ने उतारा मौत के घाट
21 अक्टूबर 1990 कमल सदाना के 20वें बर्थडे सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहीं सईदा ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी दिन होगा. सईदा के पति घर पर नशे में धुत होकर पहुंचे और फिर उन्होंने बिना सोचे-समझे पत्नी और बेटी को गोली मारकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. ब्रिज सरदाना ने अपने एक्टर बेटे कमल सदाना को भी गोली मारी और फिर खुद को भी शूट कर अपनी जीवन लीला भी समाप्त कर ली, लेकिन भाग्यवश कमल सदाना इस हादसे में बच गये.
कमल सदाना को पहुंचा सदमा
फिल्म 'बेखुदी' (1992) में काजोल के साथ लीड एक्टर नजर आए कमल सदाना ने एक इंटरव्यू में अपने बर्थडे पर हुए इस खौफनाक मंजर के बारे में बताया. कमल ने बताया कि इस हादसे के दौरान वह घायल अवस्था में अपनी मां और बहन को अस्पताल लेकर गये थे. मां और बहन को देख कमल को इस बात का एहसास ही नहीं हुआ था कि उन्हें भी गोली लगी है. इलाज के दौरान एक्टर की सर्जरी हुई और जब वह ठीक होकर घर लौटे तो उन्हें पता चला कि उन्होंने अपने परिवार को खो दिया है.
कमल सदाना ने सुनाई आपबीती
कमल सदाना ने कहा, 'मुझे भी एक गोली लगी थी, जो मेरी गर्दन की एक तरफ से घुसकर दूसरी तरफ से निकल गई थी, लेकिन भगवान की दुआ से मैं बच गया, मैं क्यों बचा इसका कोई कारण नहीं है, मैं अपनी मां और बहन को अस्पताल लेकर गया, मेरी मां-बहन खून से लथपथ थीं, लेकिन मुझे इस बात का जरा भी एहसास नहीं था कि मुझे भी गोली लगी है, अस्पताल पहुंचा तो, वो वहां एक भी बेड खाली नहीं था, मेरे दोस्त ने मेरी हेल्प की, मैंने डॉक्टर के आगे हाथ जोड़े कि वो मेरी मां-बहन को बचा लें, वहीं मेरी भी सर्जरी हुई और जब घर पहुंचा था, मैं अपने परिवार को खो चुका था.'