बॉलीवुड में आने वाली हर एक्ट्रेस के मन में एक सपना होता है कि वो किसी फिल्म की हीरोइन बने. यहां आने वाली हर एक्ट्रेस हीरोइन बनने का सपना देखती आई है क्योंकि हीरोइन ही फिल्म में लीड रोल में होती है. लेकिन क्या आप सोच पाएंगे कि एक एक्ट्रेस ऐसी भी आई जिसने हीरोइन का रोल प्ले करने से इनकार कर दिया था. जी हां, इस एक्ट्रेस ने सालों तक फिल्मों में मौसी के किरदार निभाए और बॉलीवुड की फेमस मौसी बन गईं.
बसंती की मौसी बनकर खूब बटोरी शोहरत
जी हां बात हो रही है शोले जैसी फिल्म में बसंती की मौसी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस लीला मिश्रा की. लीला मिश्रा ने अपने करियर में मां और मौसी के किरदार इतनी खूबसूरती से निभाए कि लोग उन्हें मौसी कहकर बुलाने लगे थे. लीला जमींदार की बेटी थी और महज 12 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. 17 साल की उम्र तक वो दो बच्चों की मां बन चुकी थी. लीला के पति राम प्रसाद मिश्रा एक एक्टर थे. राम प्रसाद मिश्रा को किसी दोस्त ने सलाह दी कि लीला को भी एक्टिंग की दुनिया में आना चाहिए और पति की मदद से लीला फिल्मों में आई. लेकिन उन्होंने कभी भी हीरोइन का रोल नहीं करना चाहा. एक इंटरव्यू में लीला ने बताया था कि उनका पारिवारिक बैकग्राउंड इस तरह का था कि वो स्क्रीन पर हीरो के साथ रोमांस नहीं कर सकती थी. इसलिए उन्होंने कभी हीरोइन का रोल नहीं किया. लीला ने ढेर सारे कैरेक्टर रोल निभाए.
लकवा होने के बाद भी पूरा किया शूट
लीला ने अपने करियर में मौसी, मां, दादी और नानी के रोल इतनी खूबसूरती से निभाए कि कभी उन्हें अपने इस फैसले पर पछतावा नहीं हुआ. 1975 में शोले में उनका मौसी बनना उनके करियर का टर्निंग पॉइंट था. इसके बाद वो मौसी के रूप में मशहूर हो गई. 1981 में आई फिल्म चश्मे बद्दूर में लीला दीप्ति नवल की दादी बनीं और फिर उन्हें वही शोहरत मिली. कहा जाता है कि वो मरते दम तक एक्टिंग करना चाहती थी. जब वो एक फिल्म की शूटिंग कर रही थी तो उनको लकवा मार गया. लेकिन फिर भी उन्होंने उसी हाल में शूट किया और उसके बाद अस्पताल गई.उस सीन के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनका निधन हो गया.