'शराबी' के रोल के लिए फेमस था ये एक्टर, पत्नी को पड़ोसियों ने टीवी देखने से किया मना तो कहा- अब तुम्हें किसी..

This actor was famous for his role as a drunkard : हिंदी फिल्मों का सबसे मशहूर 'शराबी' कहलाता था ये एक्टर, जिन्होंने कभी रियल लाइफ में शराब को हाथ नहीं लगाया.

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शराबी के रोल में फेमस हुआ ये एक्टर
नई दिल्ली:

बॉलीवुड के पुराने दौर में एक ऐसा नाम था, जिसे पर्दे पर देखते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. लड़खड़ाती चाल, नशे से भरी आंखें, हकलाती आवाज, लेकिन ये सब महज उनकी बेहतरीन अदाकारी का हिस्सा था. हम बात कर रहे हैं केष्टो मुखर्जी की, जिन्हें हिंदी फिल्मों का सबसे मशहूर 'शराबी' कहा गया. लेकिन असल जिंदगी में वह इससे बिल्कुल उलट थे, उन्होंने कभी भी शराब को हाथ तक नहीं लगाया था. वह शानदार एक्टर के साथ-साथ जिम्मेदार पिता और पति भी थे. 7 अगस्त 1925 को कोलकाता में जन्मे केष्टो मुखर्जी की जिंदगी में परिवार की अहमियत सबसे ऊपर थी. फिल्मी चकाचौंध से दूर, उनका घर और वहां की शांति ही उनकी असली दुनिया थी। इसका एक बहुत ही प्यारा उदाहरण उनके बेटे बबलू मुखर्जी ने एक इंटरव्यू में साझा किया था.

किराए के फ्लैट में रहते थे केष्टो

बात उन दिनों की है जब केष्टो मुखर्जी जुहू, मुंबई में एक छोटे से फ्लैट में किराए पर रहते थे. उनकी पत्नी को टीवी देखने का बहुत शौक था, लेकिन उस समय उनके घर में टीवी नहीं था. ऐसे में वह अक्सर अपने पड़ोसी के घर टीवी देखने चली जाया करती थीं. शुरू में तो सब ठीक रहा, लेकिन एक दिन पड़ोसी ने उन्हें अपने घर आने से मना कर दिया. इस बात ने उनकी पत्नी को काफी दुखी कर दिया.

पत्नी से किया था वादा

जब केष्टो मुखर्जी को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत तकलीफ हुई. उन्होंने अपनी पत्नी से बिना ज्यादा सवाल किए बस एक ही बात कही, 'अब तुम्हें किसी के घर टीवी देखने नहीं जाना पड़ेगा.' इस घटना के कुछ ही हफ्तों बाद केष्टो मुखर्जी ने जुहू में ही एक नया दो कमरों का फ्लैट खरीद लिया और उसके साथ ही एक नया टीवी भी घर लेकर आए. उन्होंने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि उनकी पत्नी को अब कोई तकलीफ न हो. उनके लिए परिवार की खुशी काफी मायने रखती थी.

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अपने किरदारों से मिली पॉपुलैरिटी

केष्टो को बचपन से ही अभिनय का शौक था. उनकी फिल्मों में शुरुआत करने का श्रेय मशहूर फिल्म निर्माता ऋत्विक घटक को जाता है. ऋत्विक घटक ने उन्हें 1957 में आई अपनी फिल्म 'नागरिक' में एक छोटा सा रोल दिया, जो बाद में उनके करियर का मील का पत्थर साबित हुआ. हालांकि यह फिल्म 1977 में रिलीज हुई थी, लेकिन इसने केष्टो के करियर में अहम योगदान दिया. केष्टो मुखर्जी ने इस फिल्म में अपनी अदाकारी से दर्शकों को प्रभावित किया और इस तरह उनका फिल्मी सफर शुरू हुआ. इसके बाद उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'मुसाफिर' में काम किया. इसमें उन्होंने एक स्ट्रीट डांसर का किरदार निभाया, लेकिन उन्हें लोकप्रियता सबसे ज्यादा शराबी के किरदारों से हासिल हुई.

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शराबी के रोल ने बदली किस्मत

उनका पहला शराबी किरदार 1970 में 'मां और ममता' फिल्म में था, जिसमें उन्होंने असित सेन के निर्देशन में बेहतरीन अभिनय किया. इसके बाद उनकी शराबी भूमिका उनकी पहचान बन गई और वे हर फिल्म में इस तरह के रोल करने लगे. उनकी कॉमिक टाइमिंग ने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे महान हास्य अभिनेता बना दिया. उन्होंने 'चुपके चुपके', 'गोलमाल', 'गुड्डी', 'शोले', 'पड़ोसन', 'बॉम्बे टू गोवा' जैसी फिल्मों में काम किया. उन्होंने अपने शानदार अभिनय के लिए 'फिल्मफेयर अवार्ड' प्राप्त किए. केष्टो मुखर्जी का निधन 2 मार्च 1982 को हुआ. वह महज 56 वर्ष के थे. उनका निधन एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में हुआ, जब वह मुंबई के पास एक गणपति मंदिर में दर्शन करने जा रहे थे. एक ट्रक ने उनकी कार को पीछे से टक्कर मार दी, और इसके कारण उनका निधन हो गया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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