पाकिस्तान से भारत आए माता-पिता, चीनी रोटी खाकर गुजारे दिन, आज 800 करोड़ कमाने वाली फिल्म में काम करने को लेकर है चर्चा

एनिमल फिल्म में रणबीर कपूर यानी कि राजबीर के दादा के किरदार में हैं. वैसे तो इस चेहरे को किसी पहचान की जरूरत नहीं है लेकिन नई पीढ़ी को जानना जरूरी है कि ये आर्टिस्ट हैं सुरेश ओबेरॉय जो एक समय में बॉलीवुड के दिग्गज नामों में शुमार रहे हैं.

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एनिमल के इस एक्टर को पहचाना क्या
नई दिल्ली:

एनिमल मूवी का एक एक कैरेक्टर सुर्खियां बटोर रहा है. लॉर्ड बॉबी से लेकर कुछ देर के लिए स्क्रीन पर दिखीं तृप्ति डीमरी तक सब हिट हो गए हैं. इन्हीं चेहरों के बीच एक चेहरा और नजर आ रहा है. जो फिल्म में रणबीर कपूर यानी कि राजबीर के दादा के किरदार में हैं. वैसे तो इस चेहरे को किसी पहचान की जरूरत नहीं है लेकिन नई पीढ़ी को जानना जरूरी है कि ये आर्टिस्ट हैं सुरेश ओबेरॉय जो एक समय में बॉलीवुड के दिग्गज नामों में शुमार रहे हैं. इनकी एक्टिंग तो जबरदस्त थी ही आवाज और डायलॉग डिलेवरी का रुआब भी  सबसे अलग हट कर था. इसी आवाज के जरिए सुरेश ओबेरॉय को ग्लैमर वर्ल्ड में एंट्री मिली और वो अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे.

सुरेश ओबरॉय को आवाज ने दिलाई पहचान

जब सुरेश ओबेरॉय की उम्र बहुत कम थी तब ही उनके माता पिता अपने सारे बच्चों को लेकर पाकिस्तान से भारत आ गए. शुरुआती दिनों में खाने पीने के भी लाले थे. चीनी रोटी खाकर गुजारा करना पड़ता था. फिर एक दिन पिता ने हिम्मत जुटाई पाकिस्तान जाकर अपनी सारी प्रॉपर्टी बेचकर भारत वापस आए. उसके बाद परिवार के दिन फिरे और बढ़ते बच्चों को अपना करियर संवारने का मौका मिला. सुरेश ओबेरॉय बचपन से ही अपनी आवाज से लोगों को इंप्रेस कर लिया करते थे. तब रेडियो में उनकी सॉलिड आवाज खास पहचान बन गई. यहीं से सुरेश ओबेरॉय का करियर शुरू हुआ जो फिल्मों तक पहुंचा.

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अमिताभ-मिथुन के दौर में किया संघर्ष

सुरेश ओबेरॉय ने जब बॉलीवुड में काम शुरू किया तब कुछ फिल्मों में उन्हें लीड रोल भी मिला. लेकिन उस दौर में अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती जैसे सितारे बॉलीवुड पर राज कर रहे थे. उनके दौर में सुरेश ओबेरॉय को अच्छा काम मिलना मुश्किल हो रहा था. तब उन्होंने कैरेक्टर आर्टिस्ट की राह पकड़ी और छोटे छोटे रोल में भी बड़ी छाप छोड़ी. जिन फिल्मों में अमिताभ और मिथुन जैसे सितारे फिल्म भर छाए रहते थे उन फिल्मों में सुरेश ओबेरॉय कैरेक्टर रोल से ही उनकी नाक के नीचे से लाइमलाइट खींच कर ले जाते थे.

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