माता-पिता की हुई हत्या, घर से भागकर बनी प्लेबैक सिंगर, एक्टिंग में भी हुई फेमस, आज भी लिया जाता है 50s की इस एक्ट्रेस का नाम

टुन टुन की कॉमेडी में जितनी नेचुरलिटी थी उनकी आवाज में भी उतनी ही मिठास थी. ये बात अलग है कि जिंदगी में उन्हें मुस्कान और खुशियों की मिठास कम ही नसीब हुई.

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Tun Tun: इस 50 के दशक की एक्ट्रेस का नाम है फेमस
नई दिल्ली:

फीमेल कॉमेडियन की बात की जाए तो जहन में सबसे पहले भारती सिंह का नाम ही आता है. लेकिन गुजरे जमाने को देख चुके फिल्मों के शौकीन बखूबी जानते हैं कि पर्दे पर कॉमेडी के रंग भरने वाली फीमेल कॉमेडियन कोई और हैं. ये कॉमेडियन हैं टुनटुन. जी हां, सब उन्हें इसी नाम से जानते हैं हालांकि उनका असली नाम उमा देवी था, जो अपनी मोटी देह और जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग के लिए हमेशा याद की जाती हैं. उनकी कॉमेडी में जितनी नेचुरलिटी थी उनकी आवाज में भी उतनी ही मिठास थी. ये बात अलग है कि जिंदगी में उन्हें मुस्कान और खुशियों की मिठास कम ही नसीब हुई.

टुन टुन कौन है?

टुनटुन के माता पिता की हत्या तब कर दी गई थी जब वो बहुत छोटी थीं. कुछ नौ साल की रही होंगी जब भाई की भी मौत हो गई. टुनटुन अपने रिश्तेदारों के घर रह कर दिन गुजारने पर मजबूर हो गईं. लेकिन ये मजबूरी उन्हें पसंद नहीं थी. वो तो गाना गाना चाहती थीं, इसलिए एक दिन घर से भागकर मुंबई आ गईं. यहां डायरेक्टर नितिन बोस के असिस्टेंट जव्वाद हुसैन ने उन्हें अपने घर में पनाह दी. फिल्मी तौर तरीकों से नावाकिफ टुनटुन एक दिन इसी तरह कारदार के घर में जा घुसीं और उन्हीं से पूछा कि कारदार कहां मिलेंगे मुझे गाना गाना है. उनके इस कॉन्फिडेंस को देखकर कारदार ने उनका गाना सुना और उन्हें मौका भी दिया, जिसके बाद टुनटुन को 500 रु. महीने की पगार पर गाना गाने का मौका मिला. अफसाना लिख रही हूं जैसा यादगार गीत उन्हीं की आवाज में रिकॉर्ड किया गया.

पहले सिंगर और फिर एक्टर बनीं टुन टुन

बतौर प्लेबैक सिंगर टुनटुन ने करीब 45 गाने गाए. इसके बाद शादी और घर गृहस्थी के चक्कर में उन्हें फिल्मों से दूर होना पड़ा. बाद में उन्होंने फिर फिलमों में वापसी की कोशिश की लेकिन तब नौशाद ने उन्हें कॉमेडियन का रोल ऑफर किया. यहीं से उनका नाम टुनटुन पड़ा और पहचान बॉलीवुड की पहली फीमेल कॉमेडियन की बन गई. हालांकि फिल्मों को अलविदा कहने के बाद फिर उनके दिन बहुत अच्छे नहीं गुजरे. कुछ मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक वो आखिरी दिनों में चॉल में दिन बिताने को मजबूर हो गईं. हालांकि ऐसे समय में भी उनका ह्यूमर कभी खत्म नहीं हुआ.

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