‘थिकिंग ऑफ हिम’ में दिखेगी रविंद्र नाथ टैगोर और ओकाम्पो की दिल छू लेने वाली कहानी, 6 मई को होगी रिलीज

विंद्र नाथ टैगोर कहते हैं कि लैटिन अमेरिकी महिलाओं के पास अपना स्नेह दिखाने का एक विशेष तरीका है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
रविंद्र नाथ टैगोर के साथ विक्टोरिया
नई दिल्ली:

रविंद्र नाथ टैगोर कहते हैं कि लैटिन अमेरिकी महिलाओं के पास अपना स्नेह दिखाने का एक विशेष तरीका है. लैटिन अमेरिकी महिला विक्टोरिया और टैगोर पर एक फिल्म बनी है, जिसका नाम है 'थिंकिंग ऑफ हिम'.  विक्टोरिया ओकाम्पो उनकी अर्जेंटीना की फैन है, जिन्होंने ब्यूनस आयर्स से भारत ले जाने के लिए उन्हें एक कुर्सी भेंट की थी. लेकिन एक समस्या थी कि जहाज में टैगोर के केबिन में जाने के लिए कुर्सी बहुत बड़ी थी. लेकिन मजबूत इरादों वाली विक्टोरिया ने हार नहीं मानी. उसने जहाज के कप्तान से कहा कि वह केबिन का दरवाजा तोड़ दे और प्रवेश द्वार को बड़ा कर दे ताकि कुर्सी केबिन में जा सके. ओकाम्पो ने ही अपने संपर्क के माध्यम से टैगोर के लिए एक विशेष दो बेड रूम वाले केबिन की व्यवस्था की थी.  

 1924 में नवंबर-दिसंबर के दौरान टैगोर उस कुर्सी पर लगभग दो महीने तक बैठे थे, जब वे ओकाम्पो के अतिथि के रूप में ब्यूनस आयर्स में रहे. वह कुर्सी अभी भी शांतिनिकेतन में संरक्षित है. अपने अंतिम वर्षों में टैगोर उस कुर्सी पर आराम किया करते थे और उसी वर्ष अपनी मृत्यु से ठीक पहले अप्रैल 1941 में इसके बारे में एक कविता भी लिखी थी. 

जब उन्हें टैगोर की मृत्यु की खबर मिली तो ओकाम्पो ने टैगोर के बेटे को एक तार भेजा, जिसमें कहा गया था कि 'उसके बारे में सोचना'. इस तरह अर्जेंटीना की इस फिल्म का नाम आया. अर्जेंटीना के निर्देशक और निर्माता पाब्लो सीजर ने वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित यह फिल्म बनाई है. टैगोर को 6 नवंबर को हेल्थ कारणों से ब्यूनस आयर्स में रुकना पड़ा, जब वे स्वतंत्रता के शताब्दी समारोह में भाग लेने के लिए पेरू जा रहे थे. विक्टोरिया को इसके बारे में पता चला और उसने उनकी देखभाल की.  बीमारी से पूरी तरह ठीक होने के बाद टैगोर ने 3 जनवरी, 1925 को ब्यूनस आयर्स से वापस लौट आए.  

ओकाम्पो ने 1914 में गीतांजलि को पढ़ा था और कहा था, 'यह मेरे चौबीस वर्षीय हृदय पर आकाशीय ओस की तरह गिर गया.' उन्होंने टैगोर की कविता को 'जादुई रहस्यवाद' के कहा. भारत लौटने के बाद टैगोर ने 1940 तक ओकाम्पो के लेटर्स के जरिए संपर्क में रहे. टैगोर उन्हें प्यार से मेरी भालोभाषा (बंगाली में प्यार) कहते हैं. वह हमेशा उन्हें 'प्रिय गुरुदेव' बुलाती थी. 
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
News Reel: Shehbaz Sharif ने फिर लगाई शांति वार्ता की गुहार | Ind Pak Conflict | Rajnath Singh