खामोश हो गई 'बहनो और भाइयो' कहने वाली वो आवाज, कभी गांधी जी के साथ छापते थे अखबार, मरते दम तक किया रेडियो पर राज

अमीन सयानी ऑल इंडिया रेडियो को पॉपुलर बनाने में मदद की. सयानी सालों तक भूत बंगला, टीन डेवियन, बॉक्सर और कत्ल जैसी अलग अलग फिल्मों का भी हिस्सा रहे.

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अमीन सयानी को बिनाका गीतमाला ने बनाया था पॉपुलर
नई दिल्ली:

रेडियो की वो आवाज जिसने कई पीढ़ियों का मनोरंजन किया वो आज हमेशा हमेशा के लिए खामोश हो गई. उनकी आवाज तो किसी ना किसी तरह हम सुन ही लेंगे लेकिन दोबार कभी उन्हें लाइव सुनने का मौका नहीं मिलेगा. हम बात कर रहे हैं सदाबहार अमीन सयानी (Ameen Sayani) की. वो अमीन जिन्होंने ना केवल रेडियो के लिए बल्कि फिल्मों के लिए भी काम किया. उनका अंदाज ऐसा था कि ना तो आज तक उन जैसा कोई दूसरा आया और ना ही कोई वैसा बन पाया. हां उनके अंदाज की नकल कई बार की गई लेकिन नकल तो नकल है. आज अचानक उनके निधन की खबर ने सबको हैरान कर दिया. बताया जा रहा कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ है.    

रेडियो के चमचमाते सितारे रहेंगे अमीन सयानी

अमीन सयानी भारत के एक मशहूर रेडियो अनाउंसर थे. अमीन रेडियो शो 'बिनाका गीतमाला (Binaca Geetmala) से पूरे देश में छा गए. वह आज तक भी ऐसे अकेले रेडियो अनाउंसर हैं जिनकी नकल सबसे ज्यादा की गई. अमीन ट्रेडिशनल तरीके "भाइयों और बहनों" से अलग "बहनों और भाइयों (Behno aur Bhaiyo )"  कहा करते थे. उन्होंने 1951 से अब तक 54,000 से ज्यादा रेडियो शो और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स बनाए. अमीन सयानी को उनके भाई हामिद सयानी ने ऑल इंडिया रेडियो, बॉम्बे से इंट्रोड्यूस करवाया था. अमीन ने वहां दस साल तक अंग्रेजी शो में हिस्सा लिया. बाद में उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को पॉपुलर बनाने में मदद की. सयानी सालों तक भूत बंगला, टीन डेवियन, बॉक्सर और कत्ल जैसी अलग अलग फिल्मों का भी हिस्सा रहे. इन सभी फिल्मों में वह किसी न किसी शो के होस्ट के रोल में नजर आए.

महात्मा गांधी के साथ भी किया काम

अमीन सयानी (Ameen Sayani Died) अपनी मां कुलसूम सयानी के साथ एक पाक्षिक पत्रिका छापा करते थे. ये पत्रिका 15 दिन में आता था. रहबर नाम की ये पत्रिका 1940 से 1960 तक देवनागरी, उर्दू और गुजराती एक साथ छपा करता था. यह पत्रिका महात्मा गांधी के निर्देशों के तहत चलती थी. अमीन का यही सरल अंदाज था जिसने उन्हें उनके करियर में बहुत मदद की. 2007 में नई दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदी भवन ने उन्हें "हिंदी रत्न पुरस्कार" से सम्मानित किया था.

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उनके बारे में एक कम सुनी गई बात ये भी है कि 1960-62 के दौरान उन्होंने टाटा ऑयल मिल्स लिमिटेड के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में काम किया था. वह  ब्रांड एक्जीक्यूटिव के तौर पर काम करते थे और टॉयलेट सोप: हमाम और जय की देखभाल की.

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ऑल इंडिया रेडियो (1951 से) आकाशवाणी की कमर्शियल सर्विस (1970 से) और अलग अलग विदेशी स्टेशनों (1976 से) के बीच सयानी ने 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स बनाए/होस्ट (या उनके लिए बात) किए हैं.

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