1947 में पार्टीशन के बाद आधुनिक पाकिस्तान से पलायन करने वाले कई परिवारों ने कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों में फिल्म स्टूडियो बनाए. इनमें आनंद और कपूर परिवार भी शामिल थे. लेकिन हिंदी फिल्मों पर एक परिवार के जबरदस्त प्रभाव को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. उनकी शुरुआत कपूर परिवार के साथ ही हुई, लेकिन सिंध प्रांत के रायसिंघानिया परिवार का फिल्म इंडस्ट्री में एक बिल्कुल अलग ही दबदबा था. जहां कपूर परिवार बड़े सितारों को लेकर बड़े बजट की फ़िल्में बनाता था, वहीं रायसिंघानिया परिवार 15 लोगों की टीम के साथ घटिया हॉरर फिल्में बनाता था. वो बहुत ही कम बजट में फिल्में बनाते थे लेकिन छोटे शहरों और गांव में रामसे ब्रदर्स की फिल्मों को बहुत पसंद किया जाता था.
बनाई लो-बजट फिल्में
कार्तिक नायर के लिखे गए एक रिसर्च पेपर के अनुसार, परिवार के मुखिया एफयू रायसिंघानिया ने अपना नाम बदलकर ब्रिटिश-अनुकूल 'रामसे' रख लिया था, क्योंकि उस समय के निवासी उनका मूल नाम नहीं बोल पाते थे. परिवार कराची में एक '14-डोर' इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर चलाता था, लेकिन बंटवारे के दौरान उन्हें सब कुछ छोड़ना पड़ा. एफयू रामसे और उनके सात बेटे—श्याम, तुलसी, किरण, गंगू, केशु, अर्जुन, कुमार—मुंबई आ गए, जहां उन्होंने एक नया इलेक्ट्रॉनिक्स व्यवसाय शुरू किया. लेकिन पैसों की तंगी थी, और मुखिया इसे चला नहीं पा रहे थे. उसके बाद उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन में हाथ आजमाया है और कम बजट में फिल्में बनाना शुरू की. शुरुआत में तो फिल्म फ्लॉप रही लेकिन उन्हें अपनी पहली फिल्म से हॉरर फिल्म बनाने का आइडिया आया.
बदल दी जिंदगी
इस आइडिया ने पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी. उन्होंने खुद से फिल्म मेकिंग सीखकर फिल्में बनाना शुरू किया. वो लो बजट हॉरर फिल्म बनाने लगे. उनकी फिल्में ज्यादातर हॉलीवुड की क्लासिक फिल्मों की कॉपी होती थीं. उसके बाद उन्होंने ऐसी फिल्में बनाईं जो बॉक्स ऑफिस पर छा गई. उनकी फिल्म दो गज जमीन के नीचे 3.5 लाख के बजट में बनकर तैयार हुई थी और इसने 45 लाख कमाए थे.
कपूर खानदान देखता था फिल्म
तुलसी रामसे ने मदरलैंड मैंगजीन को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उनकी फिल्म पुराना मंदिर ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 2.5 करोड़ की कमाई की थी. जिसके बाद कपूर खानदान की पूरी अटेंशन उन पर आ गई थी. वे हम पर हंसते रहते और सोचते रहते कि हम भाई क्या कर रहे हैं. लेकिन वे हमारी फिल्में देखते रहते.