छोटे शहरों की रामलीला में होने वाले अश्लील नृत्यों का मुद्दा उठाती है फिल्म 'मंडली' 

फिल्म 'मंडली' हर वर्ष छोटे शहरों में होने वाली रामलीला के दौरान आयोजकों द्वारा अपने वित्तीय लाभ के लिए कराए जाने वाले बार-बालाओं के अश्लील नृत्य जैसे गंभीर मुद्दे पर आधारित है.

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27 अक्टूबर को रिलीज हो रही मंडली
नई दिल्ली:

बीते एक दशक में बॉलीवुड सिनेमा ने विभिन्न सामाजिक विषयों को प्रमुखता से उठाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 'पैडमैन' और 'केसरी' जैसी बड़ी फिल्मों में अभिनय कर चुके राकेश चतुवेर्दी 'ओम' के निर्देशन में बनी फिल्म 'मंडली', हर वर्ष छोटे शहरों में होने वाली रामलीला के दौरान आयोजकों द्वारा अपने वित्तीय लाभ के लिए कराए जाने वाले बार-बालाओं के अश्लील नृत्य जैसे गंभीर मुद्दे पर आधारित है. इससे पहले, चतुर्वेदी 'बीएचके भल्ला@हल्ला.कॉम' और 'बोलो राम' जैसी फिल्में भी निर्देशित कर चुके हैं. अक्टूबर 27 को रिलीज़ होने के लिए तैयार इस फिल्म में अभिनेता अभिषेक दुहान, आंचल मुंजाल, रजनीश दुग्गल और बृजेंद्र काला मुख्य भूमिका में है.

रेल्टिक पिक्चर्स के बैनर तले बनी इस फिल्म को प्रशांत कुमार गुप्ता, गीतिका गुप्ता और नीटू सबरवाल ने प्रोड्यूस किया. फिल्म में अभिनेता विनीत कुमार, कंवलजीत सिंह, अलका अमीन, अश्वथ भट्ट, सहर्ष शुक्ला और नीरज सूद जैसे कलाकार भी देखने को मिलेंगे. इससे पूर्व, प्रशांत 'होली काऊ' और इंडो-नेपाली फिल्म 'प्रेमगीत 3' जैसी फिल्मों से भी बतौर प्रोड्यूसर जुड़े रहे हैं. फिल्म के बारे में बात करते हुए लेखक-निर्देशक राकेश चतुर्वेदी 'ओम' बताते है, "मंडली में कहानी के नायक पुरुषोत्तम चौबे उर्फ 'पुरु' के माध्यम से एक व्यक्ति की जीवन यात्रा और लगातार घटती सामाजिक चेतना और पारंपरिक-सांस्कृतिक मूल्यों के पतन के समय में धार्मिकता को बचाए रखने के लिए उसके संघर्ष को प्रतिबिंबित करती है". 

वे आगे कहते हैं, "फिल्म में पुरुषोत्तम एक कलाकार हैं, जो की रामलीला (भारत के हृदय स्थल में हिंदू धर्म ग्रंथ, रामायण पर आधारित एक संगीतमय मंच प्रदर्शन) में भगवान लक्ष्मण की भूमिका निभाता हैं और उसे अपने जीवन से भी बड़ा मानता हैं. वह अपनी पवित्रता को ख़राब करने वाली बुराइयों से लड़ते हुए बुरी तरह टूट जाता है. लेकिन अपनी ताकत से वह अपने सपने और जुनून को जीवित रखने के लिए 'राख से फ़ीनिक्स की तरह'' फिर से उठ खड़ा होता है".

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फिल्म के विषय और उसकी गंभीरता के बारे में प्रशांत कहते है कि, "यह कहानी कुछ ऐसे कलाकारों के इर्द-गिर्द घूमती है जो संगीत नाटक रामलीला में काम करते हैं. प्राचीन एवं पवित्र हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामायण, यह कलाकारों की अपनी कला में गहरी आस्था और रामायण में विश्वास और समाज के शक्तिशाली लोगों के बीच संघर्ष को प्रतिबिंबित करता है जो दर्शकों को आकर्षित करने के लिए अश्लील नृत्यों को शामिल करके अपने वित्त और व्यक्तिगत लाभ के लिए रामलीला का शोषण करते हैं। मंडली शक्ति बनाम विश्वास के बारे में है".

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