कई फिल्में ऐसी होती हैं जो इमोशन से भरी होने की वजह से लोगों के दिलों में अंदर तक बैठ जाती हैं. ऐसी ही एक फिल्म 1983 में आई थी जिसे देखकर थिएटर में लोगों के आंसू थम नहीं हो रहे थे. इस बेहद प्यारी फिल्म का अंत इतना ट्रैजिक था कि लोग थिएटर में ही रोने लगे थे. जी हां बात हो रही है कमल हासन और श्रीदेवी की फिल्म सदमा की. भोला भाला हीरो और मेमोरी खोकर बच्ची बनी एक लड़की के बीच के स्नेह भरे रिश्ते बनी ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी. इस फिल्म के गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं.
सदमा तमिल फिल्म मूंद्रम पिराई (1882) का रीमेक थी और 1983 में रिलीज हुई थी. इसके डायरेक्टर बालू महेंद्र थे. फिल्म के शानदार गाने इलयाराजा ने तैयार किए थे. ऐ जिंदगी गले से लगा ले, सुरमई अंखियों में जैसे गाने लोग आज भी गाना पसंद करते हैं. फिल्म कमल हासन के यादगार रोल के लिए जानी जाती है और उस वक्त श्रीदेवी भी करीब 19 साल की थी. इस फिल्म में शानदार एक्टिंग के लिए उस साल कमल हासन और श्रीदेवी को बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था. इसके साथ साथ बेस्ट स्टोरी के लिए फिल्म के डायरेक्टर बालू महेंद्र को भी फिल्म फेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था.
फिल्म की कहानी में श्रीदेवी ने नेहा लता नाम की ऐसी लड़की का किरदार निभाया था जो एक एक्सीडेंट के बाद याद्दाश्त खो बैठती है और बच्ची बन जाती है. ऐसे में गलत हाथों में पड़कर श्रीदेवी वो एक कोठे पर फंस जाती है जहां सोनू यानी कमल हासन उसे बचाकर ऊटी में अपने घर ले जाता है. कमल हासन बच्चे की तरह श्रीदेवी की देखभाल करता है और दोनों के बीच स्नेह का रिश्ता बन जाता है. कमल हासन श्रीदेवी का इलाज करवाता है और इलाज की बदौलत आखिर में जब श्रीदेवी की जब याददाश्त लौट आती है तो वो कमल हासन को भूल जाती है और कमल हासन उसे याद दिलाने के लिए तरह तरह की कोशिश करता दिखता है. आखिर में श्रीदेवी परिवार के साथ लौट रही होती है तो कमल हासन तरह तरह की हरकतें करके श्रीदेवी को याद दिलाना चाहता है लेकिन वो उसे पागल समझती है और परिवार के साथ चली जाती है.