90 के दशक में जब सुष्मिता सेन की फोटो कवर पेज पर छापने से कतराती थीं मैगजीन, क्या थी वजह ?

सुष्मिता सेन ने फिल्म कम्पैनियन से बात करते हुए 90 के दशक का वो दौर याद किया जब माहौल उनके खिलाफ हो रहा था.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
सुष्मिता सेन
नई दिल्ली:

सुष्मिता सेन ने हाल ही में अपनी लेटेस्ट वेब सीरीज 'ताली' में एक ट्रांसजेंडर सोशल वर्कर गौरी सावंत के रोल में अपनी परफॉर्मेंस से दर्शकों को खूब इंप्रेस किया. सुष्मिता अक्सर अपने बेबाक विचार फैन्स और जनता के साथ शेयर करती रहती हैं और हाल ही में उन्होंने 90 के दशक में अपने 'बिंदास' रवैये और उसके नतीजों को याद किया. फिल्म कंपैनियन के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू में जब सुष्मिता सेन से पूछा गया कि क्या उन्हें कभी अपने 'बिंदास' रवैये की कोई कीमत चुकानी पड़ी है या किन्हीं नतीजों का सामना करना पड़ा है तो उन्होंने कहा, 'बिल्कुल...90 के दशक में, क्योंकि तब यह बहुत अलग समाज था अपने मन की बात कहना और कुछ भी कहना जिसमें आप बिलीव करते हैं उसे गलत समझा जाता था. लोगों को लगता था यह बुरी बात है. इस एक्ट्रेस या इंसान को बच्चों या किसी के भी सामने नहीं आना चाहिए...नहीं तो गलत असर पड़ सकता है"

सुष्मिता ने कहा, उन दिनों मैगजीन से कहा जाता था कि मुझे कवर पेज पर फीचर ना किया जाए. ऐसा केवल मेरे स्टेटमेंट्स की वजह से होता था. लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं देती क्योंकि मैं बहुत लाउड और क्लियर थी. मैंने सोचा कि अगर आप खुद को अभिव्यक्त करने की मेरी आजादी छीन लेंगे...तो वास्तव में मेरे पास कौन सी आजादी है? तो क्या मैं अपने मन की बात कहने से डरने वाली हूं...मैं बस यह सीख रही हूं कि अपनी बात किस तरह बेहतर तरीके से कही जाए. जो मैंने सीखा क्योंकि मुझे लगता है कि मुझमें पहले से वह टैक्ट नहीं थे.”

सुष्मिता सेन ने यह भी कहा कि क्या 90 के दशक के बाद से हालात बदल गए हैं और कहा, "दुनिया अब कहीं ज्यादा एक्सेप्ट कर रही है." उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि समाज में "हे भगवान" कहने वाले एलिमेंट्स मौजूद हैं फिर भी हालात में सुधार हुआ है.

Advertisement
Advertisement
Featured Video Of The Day
IND vs AUS BREAKING: Australia ने शुरु की बल्लेबाजी, पहली पारी में भारत ने बनाए 185 रन, All Out