Bollywood Vs Hollywood: फिल्म निर्माता सुभाष घई ने बॉलीवुड की तुलना हॉलीवुड से करने के खिलाफ आवाज उठाई है.उन्होंने इस तरह के लेबल को दादा साहब फाल्के, गुरु दत्त, महबूब खान और शांताराम जैसे हिंदी सिनेमा के दिग्गजों का अपमान बताया. इंस्टाग्राम पर अपनी पोस्ट में, सुभाष ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय सिनेमा, अपनी सभी भाषाओं में अपनी अनूठी कला, संस्कृति और कहानी कहने की परंपराओं के लिए सम्मान का हकदार है. सुभाष घई ने आगे कहा, "यह निश्चित रूप से क्षेत्रीय फिल्म उद्योग की हर प्रतिभा का एक बड़ा अपमान है. बॉलीवुड का मतलब ही "हॉलीवुड का नकलची" है और यह फाल्के साहब, गुरुदत्त, महबूब खान, शांताराम और हिंदी सिनेमा के दिग्गजों की हमारी हिंदी सिनेमा संस्कृति का अपमान है. भारतीय सिनेमा को अपनी कला और संस्कृति को दर्शाने वाली हर भाषा का सम्मान मिलना चाहिए.कृपया इस पर विभिन्न मंचों पर चर्चा करें ताकि हमारी गरिमा बनी रहे, धन्यवाद."
सुभाष घई को 1980 और 1990 के दशक के अग्रणी हिंदी फिल्म निर्माताओं में से एक माना जाता है. उन्होंने "कालीचरण", "विश्वनाथ", "कर्ज", "क्रोधी", "हीरो", "विधाता", "मेरी जंग", "कर्मा", "राम लखन", "सौदागर", "खलनायक", "परदेस" और "ताल" जैसी कई प्रतिष्ठित फिल्में दी हैं. फिल्म निर्माता ने हिंदी सिनेमा में अपने सफर की शुरुआत "तकदीर" और "आराधना" जैसी फिल्मों में छोटी भूमिकाओं से की. बाद में उन्होंने "उमंग" और "गुमराह" जैसी फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाईं. उन्होंने बतौर निर्देशक अपनी शुरुआत एक्शन थ्रिलर "कालीचरण" से की, जो उन्हें शत्रुघ्न सिन्हा की सिफ़ारिश पर मिली थी.
सुभाष घई ने इस साल की शुरुआत में अपनी अगली फिल्म की घोषणा करके अपने ब्रेक का अंत किया. इंस्टाग्राम पर यह खबर शेयर करते हुए, उन्होंने बताया कि अभिनेता रितेश देशमुख इस प्रोजक्ट में मुख्य भूमिका निभाएंगे.उन्होंने 'अपना सपना मनी मनी' से रितेश की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें अभिनेता महिला के वेश में थे. घोषणा पोस्ट का शीर्षक था, "मुक्ता आर्ट्स के तहत हमारी आगामी फिल्म में वह हमारी अगली नायिका हैं. एक उत्कृष्ट सुंदरता. क्या आप इस खूबसूरत लड़की का नाम बता सकते हैं? कृपया लिखें."