संडे यानी कि 6 अगस्त को सुभाष घई की फिल्म 'खलनायक' ने तीस साल पूरे किए. इस मौके पर सुभाष घई ने अपनी फिल्म के एक कंट्रोवर्शियल लेकिन पॉपुलर गाने 'चोली के पीछे क्या है' के बारे में बात की. सुभाष घई ने कहा कि चोली के पीछे असल में एक लोक गीत के तौर पर तैयार किया गया था. इस पर हुआ हंगामा चौंकाने वाला था. यह एक ट्रेडमार्क घई फिल्म थी - मनोरंजन से भरपूर, डिटेल्ड म्यूजिकल पीस, एंटी-हीरो बल्लू के रोल में संजय दत्त, पुलिस अफसर राम के रोल में जैकी श्रॉफ और अंडरकवर पुलिस अफसर गंगा के रोल में माधुरी दीक्षित जैसे स्टार्स. 1990 के दशक की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक इस फिल्म ने पिछले कुछ सालों में कल्ट का टैग हासिल कर लिया है.
सुभाष घई ने कहा, "खलनायक के बारे में एक बात जो मेरे दिमाग से नहीं उतरती वो है जब लोगों ने चोली के पीछे को अश्लील करार दिया था. यह मेरे लिए एक ट्रैजेडी की तरह था...एक बड़ा झटका. हमने इसे एक लोक गीत के रूप में माना और इसे क्रिएटिव तरीके से पेश किया था...लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो कुछ और ही हो गया. घई ने ये बात पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कही.
मशहूर गीतकार आनंद बख्शी ने इसके बोल लिखे थे. म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की हिट जोड़ी ने इसे कंपोज किया था. अल्का याग्निक और इला अरुण ने ऐसा समा बांधा...गाना खूब पंसद किया जाता है लेकिन उस वक्त इसे अश्लील-वल्गर बताया. घई ने कहा, "मुझे याद है, एक लीडिंग अखबार ने लिखा था... 'यह गाना भारतीय सिनेमा का एक क्लासिक नमूना है' और यह एक राहत की बात थी. यह एक लोक गीत था और अब लोग इसे समझते हैं."
बता दें कि 'चोली के पीछे गीत' पर विरोध इकलौती कंट्रोवर्सी नहीं थी जिसका सामना खलनायक को करना पड़ा. संजय दत्त जिन्होंने फिल्म में एक आतंकवादी की भूमिका निभाई थी उन्हें फिल्म के प्रीमियर से कुछ महीने पहले टाडा और आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था जिससे कई लोग रील और रियल के बीच कनेक्शन निकालने लगे.