अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी अपने समय के सुपरस्टार थे. दोनों जिस फिल्म में एक साथ नजर आए थे, वो फिल्म हिंदी सिनेमा के इतिहास में अमर हो गई. वो फिल्म थी खुदा गवाह. फिल्म में दोनों ने अपनी शानदार एक्टिंग से धूम मचा दिया और इसके गानों ने तो रिकॉर्ड ही तोड़ दिए, इस फिल्म की शूटिंग अफगानिस्तान में हुई थी. यह फिल्म अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी के करियर के लिए मिल का पत्थर साबित हुई. इस फिल्म से इंटरनेशनल स्टार बन गए.
हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सुपरहिट फिल्म में अमिताब बच्चन के साथ काम करने के लिए श्रीदेवी किसी भी कीमत पर तैयार नहीं थीं. खुदा गवाह 8 मई 1992 को रिलीज हुई थी. फिल्म के गाने ‘तू ना जा मेरे बादशाह' और ‘तू मुझे कबूल है' लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे. डायरेक्टर मुकुल एस आनंद की इस फिल्म ने लोगों का खूब दिल जीता. फिल्म में अमिताभ बच्चन ने एक अफगानी पठान का किरदार निभाया था.
कहा जाता है कि फिल्म की शूटिंग के दौरान तालिबान सरदार सेट पर आ गए थे. उन्हें सेट पर देख कर वहां मौजूद लोगों का हलक सूख गया. हालांकि अफगानी सरदार अमिताभ बच्चन के फैन थे और उनसे मिलने आए थे. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान अफगान की आधे से ज्यादा एयरफोर्स अमिताभ बच्चन की सुरक्षा में लगा दी गई थी. इसके बाद अमिताभ बच्चन को एक पार्टी में भी आमंत्रित किया गया था.
बता दें कि खुदा गवाह को अफगानिस्तान के दो शहरों काबुल और मजार-ए-शरीफ में शूट किया गया था. मोहम्मद नजीबुल्लाह जो उस समय अफगानिस्तान के राष्ट्रपति थे, उन्होंने 1991 में फिल्म की 18 दिनों की शूटिंग के दौरान सुरक्षा प्रदान की थी. दरअसल अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति नजीबुल्लाह हिंदी फिल्मों के बहुत बड़े फैन थे. अमिताभ बच्चन ने बताया था कि जब शूटिंग चल रही थी, तब राष्ट्रपति ने हमें सुरक्षा प्रदान की थी. फाइटर जेट विमान आसमान में चौकसी बरत रहे थे और सेना के टैंक सेट के किनारे थे. यह एक युद्ध के मैदान की तरह लग रहा था."
अमिताभ बच्चन ने बॉलीवुड बबल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि अफगानिस्तान की यात्रा मेरी जिंदगी की सबसे यादगार पलों में से एक है. मैं यहां खुदा गवाह की शूटिंग कर रहा था. हमें एक ईवेंट में बुलाने के लिए आमंत्रित किया गया. हमने एक चॉपर की भी सवारी की. अफगानिस्तान की पहाड़ियों का व्यू आज भी मेरे दिमाग में छपा है. लोगों ने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया. इतना ही नहीं हमारे लिए एक टूर्नामेंट का भी आयोजन किया गया था.
फिल्म में अफगानी पठान का किरदार निभाने वाले अमिताभ बच्चन की इस फिल्म को अफगानिस्तान में खूब पसंद किया गया. 5 करोड़ रुपयों के बजट से बनी ये फिल्म भारत में भले ही एवरेज रही थी, लेकिन दुनियाभर में इस फिल्म ने बंपर कमाई की थी.नजीर अहमद और राजकुमार वेदी ने फिल्म को प्रोड्यूस किया था. फिल्म में संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का था.कुल 8 गानों से सजी ये फिल्म एक संगीतमय फिल्म थी. फिल्म में अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी, नागार्जुन, शिल्पा शिरोडकर, डैनी डेन्जोंगपा और किरण कुमार लीड रोल में थे.
कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन और दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी की मां राजेश्वरी ने निर्माता मनोज देसाई को धमकी दी थी. एक इंटरव्यू में मनोज ने बताया था कि अमिताभ बच्चन की मां तेजी ने उनसे कहा था कि अगर अमिताभ की पत्नी जया बच्चन विधवा हो गईं तो मनोज की पत्नी भी हो जाएगी. वहीं श्रीदेवी की मां ने भी उनसे कहा कि अगर उनकी बेटी को कुछ हो जाए तो वह काबुल से वापस ना आए. श्री के बिना वापस आने पर उन्होंने जान से मारने की धमकी भी दी थी.
बॉलीवुड हंगामा के साथ बातचीत में मनोज ने कहा था कि अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन जी ने मुझे चेतावनी दी थी कि 'अगर अमित को कुछ भी होता है और अगर जया ने सफेद साड़ी पहनी, तो तेरी पत्नी कल्पना भी सफेद साड़ी पहनेगी.तुम वापस आने की हिम्मत मत करना. वहीं श्रीदेवी की मां ने भी चेतावनी दी थी कि 'मनोज भाई, अगर श्री को कुछ हुआ तो काबुल से वापस मत आना.तुम्हारा खून करवा दूंगी मैं इधर.
वहीं अमिताभ बच्चन के साथ इस फिल्म में काम करने के लिए श्रीदेवी कीसी भी कीमत पर तैयार नहीं थीं. तब अमिताभ बच्चन ने उनके लिए गुलाब के फूलों से भरा ट्रक भिजवाया था. जिसके बाद वह तैयार हो गईं, लेकिन एक शर्त भी रख दी. श्रीदेवी ने शर्त रखी थी कि वह मां और बेटी दोनों का किरदार निभाएंगी. उनकी इस शर्त के आगे सभी को झुकना पड़ा और तब जाकर वह 'खुदा गवाह' में अमिताभ की हीरोइन बनीं.