AI ने किया कमाल! सोनू निगम ने लाइव कॉन्सर्ट में मो. रफी के साथ गाया गाना, जुगलबंदी देख लोग बोले- हम धन्य हुए

यह इवेंट, जो डल झील और ज़बरवान पहाड़ों के बैकग्राउंड में हुआ, पहलगाम हमले के बाद इस इलाके में अपनी तरह का पहला था और इसमें परंपरा और टेक्नोलॉजी का मेल दिखा.

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सोनू निगम ने लाइव कॉन्सर्ट में मो. रफी के साथ गाया गाना
नई दिल्ली:

सिंगर सोनू निगम ने कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्वोकेशन कॉम्प्लेक्स में एक शानदार परफॉर्मेंस दी, जहां उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके मोहम्मद रफी की आवाज़ को रिक्रिएट किया और दिवंगत सिंगर के साथ एक लाइव डुएट किया. यह इवेंट, जो डल झील और ज़बरवान पहाड़ों के बैकग्राउंड में हुआ, पहलगाम हमले के बाद इस इलाके में अपनी तरह का पहला था और इसमें परंपरा और टेक्नोलॉजी का मेल दिखा.  इस परफॉर्मेंस को ऑनलाइन मौजूद लोगों और दर्शकों से खूब तारीफ मिली. कॉन्सर्ट के क्लिप सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुए, जिसमें फैंस ने पुरानी यादों और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के मेल की बहुत तारीफ की. एक मौजूद व्यक्ति ने कमेंट किया, “मुझे नहीं पता कि कितने लोग इससे रिलेट कर पाएंगे लेकिन यह खुद भगवान हैं, सोनू निगम ने आज रात जो किया वह हमें उनकी दिव्य मौजूदगी का एहसास कराने के अलावा और कुछ नहीं था #rafifanforlife (sic).”

ऑनलाइन कमेंट करने वालों ने इस अनुभव को शानदार बताया. एक ने लिखा, “यह बिल्कुल लेजेंडरी है,” जबकि दूसरे ने लिखा, “इस कॉन्सर्ट को लाइव देखना एक बिल्कुल अलग लेवल का जादू है. आप सच में इस कॉन्सर्ट को खुद अनुभव करने के लिए धन्य हैं.” आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर दर्शकों ने कमेंट्स किए. एक रिएक्शन में लिखा था, “जब टेक्नोलॉजी प्योर इमोशन बन जाती है.”

AI के इस्तेमाल पर बोले सोनू

इवेंट के बाद, सोनू निगम ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में म्यूज़िक में AI की भूमिका पर बात की, और बताया कि टेक्नोलॉजी कैसे क्रिएटिव प्रोसेस को बदल रही है. उनसे पूछा गया, “आज की दुनिया में, जब AI म्यूज़िक बनाने का तरीका बदल रहा है, तो आपको क्या लगता है कि यह क्रिएटिव प्रोसेस पर कैसे असर डालता है, खासकर जब हम अब AI को रफ़ी साहब और किशोर कुमार की आवाज़ें बनाते हुए सुनते हैं?”

अपना नज़रिया शेयर करते हुए, सोनू निगम ने जवाब दिया, “AI को एक असिस्टेंट की तरह ट्रीट करना चाहिए, न कि आपके बॉस की तरह. यह एक ऐसा टूल है जो क्रिएटिविटी को सपोर्ट कर सकता है, लेकिन इसे कभी भी उस इंसानी आत्मा की जगह नहीं लेनी चाहिए जो म्यूज़िक को उसका असली मतलब देती है.” आर्टिस्ट के कमेंट्स आर्ट्स में टेक्नोलॉजिकल तरक्की को लेकर चल रही बहसों से मेल खाते थे.

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