हाल ही में साउथ एक्टर किच्चा सुदीप ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं रहीं. इस पर एक्टर अजय देवगन ने आपत्ति जताते हुए कहा, हिंदी राष्ट्रभाषा थी, है और रहेगी. अब इस पर सिंगर सोनू निगम ने अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा, हिंदी देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, लेकिन इसे गैर हिंदी लोगों पर थोपा नहीं जा सकता. क्योंकि यह भाषा ‘संविधान में राष्ट्रीय भाषा' के रूप में वर्णित नहीं है. पिछले हफ्ते अजय देवगन और सुदीप संजीव के बीच ट्विटर पर हिंदी के लेकर जिस तरह की बयानबाजी हुई, उसके बाद इस पर सभी अपनी अपनी राय दे रहे हैं.
संविधान में हिंदी नहीं है वर्णित
सोनू ने कहा "मेरी जानकारी के अनुसार, भारत के संविधान में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में वर्णित नहीं किया गया है. मैंने इसके बारे में जानकारों से भी सलाह ली है. हिंदी देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, मैं इसे समझता हूं. लेकिन तमिल भी दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है. बता दें कि संस्कृत और तमिल को लेकर बहस चल रही है. कहा जा रहा है कि तमिल पूरी दुनिया में सबसे पुरानी भाषा है.
भाषा को लेकर विवाद तनाव पैदा करेगा
सोनू ने कहा कि भाषा को लेकर यह विवाद देश में तनाव पैदा करेगा, हम पहले से ही कई आंतरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं. क्या देश में पहले से कम समस्या है कि हमें एक नई की आवश्यकता है. हम दूसरों पर एक भाषा थोपकर देश में तनाव पैदा कर रहे हैं, यह कह कर कि आप एक तमिल हैं, आपको हिंदी बोलनी चाहिए. वे क्यों करेंगे? लोगों को अधिकार होना चाहिए यह तय करने के लिए कि वे कौन सी भाषा बोलना चाहते हैं.
सबको अधिकार है कौन सी भाषा बोलें
सोनू ने BEAST स्टूडियोज के संस्थापक और सीईओ सुशांत मेहता के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही. अपनी बात खत्म करते हुए उऩ्होंने कहा, छोडो यार, यह सब छोड़ दो. उन्हें शांत होने दो. एक पंजाबी को पंजाबी बोलना चाहिए, तमिल को तमिल बोलना चाहिए. अगर वे अंग्रेजी में सहज हैं, तो वे उस भाषा में बोलेंगे. यहां तक कि हमारी अदालतों में भी फैसले अंग्रेजी में होते हैं. फ्लाइट अटेंडेंट भी अंग्रेजी पसंद करते हैं. सोनू ने एक उड़ान के दौरान की एक घटना शेयर करते हुए बताया कि केबिन क्रू मेंबर हिंदी में जवाब देने के बावजूद अंग्रेजी में बात करता रहा था.
बता दें कि अजय देवगन और कन्नड़ एक्टर सुदीप संजीव के बीच गुरुवार को हिंदी के लेकर बहस के बाद कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है या नहीं, अब इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है. पिछले महीने गृह मंत्री अमित शाह की हिंदी के प्रचार -प्रसार कार्यक्रम के बाद साउथ के कई नेताओं ने चेतावनी दी थी कि हिंदी को थोपने का कोई भी प्रयास गलत होगा.
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