सोनाक्षी सिन्हा ने विदेशी हस्तियों के ट्वीट पर तोड़ी चुप्पी- वे भी इंसान हैं, जो दूसरे इंसानों के लिए आवाज उठा रहे हैं...

सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने कहा है कि आपको यह याद रखना चाहिए कि यह कोई एलियंस नहीं हैं बल्कि हमारी तरह ही इंसान हैं जो दूसरे इंसानों के लिए आवाज उठा रहे हैं...'

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सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने खुलकर रखी अपनी राय
नई दिल्ली:

सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर विदेशी कलाकारों के ट्वीट्स को लेकर अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर खुलकर अपनी राय रखी है. सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने कई पोस्ट इंस्टाग्राम स्टोरी में डाली है और बताया है कि इन विदेशी कलाकारों को उन बाहरी लोगों की तरह पेश किया जाएगा जो देश में अशांति फैलाना चाहते हैं. लेकिन बात इतनी सी है कि वह भी इंसान है और इंसानों के पक्ष की बात करना चाहते हैं. इस तरह उन्होंने रिहाना, मिया खलीफा और ग्रेटा थनबर्ग के आवाज उठाने को कतई गलत नहीं बताया है.

सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा है, 'इससे पहले आप आज रात रिहाना और ग्रेटा या अन्य 'बाहरियों' के भारतीय के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के बारे में सुनें, आपको यह बात जान लेने की जरूरत है.' 'जाहिर है वे हमारी तीन कृषि बिलों और हमारे कृषि क्षेत्र की बारीकियों को नहीं जानते हैं. लेकिन चिंता सिर्फ इसी बात की नहीं है. आवाज उठाई गई है मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर, फ्री इंटरनेट को दबाने को लेकर, अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर, सरकार के प्रोपेगैंडा, हेट स्पीच और सत्ता के दुरुपयोग को लेकर.'

'जब समाचार और मीडिया के लोग आपको यह सोचने पर मजबूर करेंगे कि यह बाहरी ताकतें हैं जो हमारे देश का कार्यप्रणाली को संचालित करने की कोशिश कर रही है. आपको यह याद रखना चाहिए कि यह कोई एलियंस नहीं हैं बल्कि हमारी तरह ही इंसान हैं जो दूसरे इंसानों के लिए आवाज उठा रहे हैं. 
यह दो अलग-अलग बहसें हैं.  आपके नीति, कानून और इनके क्रियान्वयन को लेकर अलग-अलग विचार हो सकते हैं.  लेकिन इन मतभेदों को अन्य बहसों का हिस्सा न बनने दें जोकि मानवाधिकार और आजादी के बारे में हैं.'

'पत्रकारों को डराया जा रहा है. इंटरनेट बैन हो रहा है. सरकार और मीडिया के प्रोपेगैंडा के जरिये प्रदर्शनकारियों की गलत छवि पेश की जा रही है.  हेट स्पीच (देश के गद्दारों को, गोली मारो...) का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल हो रहा है. यही वह मसला है जो दुनिया भर में चर्चा में आ रहा है. दमनकारी हमेशा इसी तरह बातें करते हैं.  घर पर हिंसा को 'घर की बात' कहते हैं.  'तुम कौन होते हो हमारे अंदर के मामलों में बोलने वाले. दमनकारी आजाद दिमाग लोगों से डरते हैं जो उन पर निर्भर नहीं होते हैं और सच बोलने की हिम्मत रखते हैं.'

"मैं एक बार फिर कहूंगी कि आज रात की खबरों में यह दिखाने की कोशिश की जाएगी कि बाहरी ताकतें देश में अशांति फैलाना चाहती हैं. प्लीज उन्हें यह नैरेटिव न बनाने दें.  यह इंसानों के लिए इंसानों की आवाज बुलंद करने का मामला है. सिर्फ इतनी सी बात है.'

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