सोमी अली ने वैलेंटाइन डे को बताया बचकाना और मूर्खाना, बोलीं- यह पैसे कमाने के अलावा कुछ नहीं

Somy Ali: सोमी अली बॉलीवुड की ऐसी एक्ट्रेस हैं जो अब रूपहली परदे को छोड़कर एनजीओ चला रही हैं. उन्होंने वैलेंटाइन डे को लेकर बहुत ही बेबाकी से अपनी राय रखी है.

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सोमी अली ने वैलेंटाइन डे को लेकर कही यह बात
नई दिल्ली:

बॉलीवुड एक्ट्रेस सोमी अली वैलेंटाइन डे की ज्यादा परवाह नहीं करती हैं और उनका कहना है कि जब आप किसी से बिना शर्त प्यार करते हैं तो इन दिनों का कोई मतलब नहीं होता है. सोमी नो मोर टीयर्स नाम का एनजीओ चलाती हैं और घरेलू हिंसा और बलात्कार के पीड़ितों की मदद करती हैं. सोमी अली का मानना है कि वह जब जरूरतमंद लोगों की मदद करती हैं तो उन्हें वैलेंटाइन डे मनाने से ज्यादा खुशी मिलती है. सोमी अली ने बताया कि वह कैसे वैलेंटाइन डे मनाती हैं, 'वेलेंटाइन डे पर, मैं काम पर जाती हूं. ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि मेरी उमर हो गई है, बल्कि जब मैं टीनेजर थी, तब भी मैं इन सभी मानव निर्मित दिनों को काल्पनिक और हास्यास्पद मानती थी. जब हम प्यार में होते हैं तो हमें प्यार जताने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं होती है. यह पैसे कमाने के अलावा और कुछ नहीं है. यह दिन किशोरों को खुश करता है और वयस्कों को रोमांचित करता है. लेकिन मैं किसी खास दिन प्यार को दर्शाने के लिए इंसानों द्वारा बनाए गए ऐसे आविष्कारों के झांसे में नहीं आती. वास्तव में, मुझे यह मूर्खाना और बचकाना लगता है.'

सोमी अली कहती हैं, 'प्यार बिना शर्त होता है और प्यार तब होता है जब आपसे प्यार करने वाला व्यक्ति आपके सबसे बुरे समय में आपके साथ होता है. प्यार छोटी-छोटी चीजों के त्याग का नाम है जो एक-दूसरे के लिए मायने रखती हैं चाहे वह रोमांटिक हो, पारिवारिक हो या दोस्ती में. प्यार की न कोई सीमा होती है और न ही कोई धर्म. प्रेम जटिल नहीं, अत्यंत सरल है. प्यार करना जीना है और अपने आप को उन सभी को देना है जिन्हें आप प्यार करते हैं. मैं अपने संगठन के माध्यम से बचे लोगों को अपना सारा प्यार देती हूं. जब वे फलते-फूलते हैं, तो मैं फलती-फूलती हूं. जब वे खुश होते हैं, तो मैं खुश होती हूं. मेरे लिए यही प्यार है. खुशी बांटना और जरूरतमंदों को प्यार देना मेरी तरह का प्यार है.'

शोबिज की प्रकृति ऐसी है कि आप अकेले हैं, सोमी कहती हैं, 'मेरी राय में हर कोई अपने जीवन के उच्चतम बिंदु पर अकेला होता है. हॉलीवुड हो या बॉलीवुड, यही प्रकृति है. जब किसी ने इतनी प्रसिद्धि और सफलता हासिल कर ली हो तो सच्चा दोस्त कौन है, इसके बीच अंतर करना कठिन है. यह अकेलेपन की ओर ले जाता है, तब भी जब आप अपना नाम चिल्लाते हुए हजारों लोगों से घिरे होते हैं. बहुतों के साथ होने पर भी कोई सबसे अकेला हो सकता है.'

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