कहीं साउथ इंडस्ट्री भी तो नहीं कर रहा बॉलीवुड वाली गलती, नहीं संभले तो हो सकता है तगड़ा नुकसान, पढ़िए ये खबर

श्रीकांत ओडेला की फिल्म 'दशहरा' (Dasara) का टीजर 30 जनवरी को रिलीज हुआ। 30 मार्च को यह फिल्म हिंदी, तेलुगू, कन्नड़, तमिल और मलयालम में रिलीज होगी. हालांकि इस टीचर को देखने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

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क्या 'पुष्पा' की कॉपी है फिल्म 'दशहरा', पढ़िए ये खबर
नई दिल्ली:

कहीं साउथ फिल्म इंडस्ट्री भी तो बॉलीवुड जैसी गलती नहीं कर रहा है? ऐसा हम नहीं, बल्कि दर्शक बोल रहे हैं. दरअसल, पिछले 2 से 3 सालों में साउथ की फिल्मों का क्रेज बढ़ा है. इसी का नतीजा रहा कि कुछ समय पहले तक बॉलीवुड को तगड़ा नुकसान हुआ और कई सुपरस्टार की फिल्में कब आईं और कब चली गईं, पता ही नहीं चल रहा है. इस बीच जिस साउथ की फिल्मों की दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है, उसकी एक फिल्म 'दशहरा' (Dasara Movie) का टीजर सामने आया तो यह सवाल तेजी से उठने लगा कि कहीं साउथ भी बॉलीवुड की राह पर तो नहीं चलने लगा है. आइए समझते हैं पूरा माजरा..

कहानी-कॉन्सेप्ट सब पुराना

श्रीकांत ओडेला डायरेक्टेड 'दशहरा' (Dasara)  का टीजर 30 जनवरी को रिलीज हुआ. इस फिल्म में नानी (Nani), कीर्ति सुरेश (Keerthy Suresh), साई कुमार, शाइन टॉम चाको जैसे कई स्टार हैं. 30 मार्च को यह फिल्म हिंदी, तेलुगू, कन्नड़, तमिल और मलयालम में रिलीज होगी. ये मूवी साउथ की तमाम सुपरहिट फिल्मों का एक रूप बताई जा रही है. साउथ अपनी फिल्मों ने नई कहानी और नए कॉन्सेप्ट को लेकर फेमस है. यहां कुछ भी बासी नहीं होता है लेकिन Dasara की झलक तो यही दिखा रहा है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है. इस फिल्म में रॉकी भाई और पुष्पा राज की कहानी जैसी कहानी है.

क्या 'पुष्पा' की कॉपी है 'दशहरा'

'दशहरा' की कहानी वीरलापल्ली गांव में गढ़ी गई है. यहां का एक लड़का शहर का डॉन है और अपने लोगों का मसीहा. नानी का लुक पूरे टीजर में एकदम वैसा ही है, जैसा पुष्पा का. वैसी ही दाढ़ी, वैसे ही बाल और मुंह में बीड़ी का वही स्टाइल...आधे टांग पर लुंगी और वही एक्शन आपको पुष्पा की याद दिला देगा. इस टीजर को देखने के बाद लगने लगा है कि साउथ इंडस्ट्री भी अब एक जैसा ही कलेवर दर्शकों को परोस रही है. 

कहीं बॉलीवुड जैसी गलती तो नहीं कर रहा साउथ इंडस्ट्री

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि दर्शक एक जैसा टेस्ट कब तक चलता रहेगा. पुराने मॉडल को आप हर बार नहीं बेच सकते हैं. अब दर्शकों को कुछ नया और हटकर चाहिए. गरीब लड़का, गांव का मसीहा, गुंडों से मार-धाड़..देख-देखकर दर्शक भी पक चुके हैं. तब मेकर्स की जिम्मेदारी भी बनती है कि उन्हें कुछ नया दिया जाए. Puspa, KGF, Kantara का कॉन्सेप्ट काफी अलग था तो दर्शकों को दिल में जा बसीं लेकिन अगर आप खिचड़ी लेकर दर्शक के सामने आएंगे तो शायद ही उसे ज्यादा पसंद किया जाए. यही कारण है कि कहा जा रहा बॉलीवुड के नक्शेकदम पर साउथ फिल्म इंडस्ट्री भी चल चुका है. जहां एक जैसी फिल्में बनाने का ट्रेंड जारी है..अगर साउथ ने इस गलती को नहीं छोड़ा तो किए कराए पर पानी फिर सकता है.

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