भारत में "मीटू" आंदोलन काफी चर्चा में रहा. वहीं इसी का मशहूर सिंगर चिन्मयी श्रीपदा भी काफी अहम हिस्सा थीं. वहीं उन्होंने हाल ही में NDTV से बातचीत के बीच उम्मीद जताई कि केरल की फिल्म इंडस्ट्री के अंधेरे पक्ष को उजागर करने वाली हेमा समिति की रिपोर्ट यौन हिंसा की शिकार और अधिक महिलाओं को आगे आकर इसकी रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. उन्होंने बताया, "इस्तीफा देने वाले सिद्दीकी और रंजीत केरल फिल्म उद्योग में यौन अपराधों के आरोपों का सामना करने वाले अकेले दो नहीं हैं." जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट में यौन शोषण, प्रणालीगत उत्पीड़न और मॉलीवुड के भीतर "आपराधिक गठजोड़" के बारे में घिनौने विवरण दिए गए हैं. इसने वरिष्ठ कलाकारों और निर्देशकों के खिलाफ और ज्यादा शिकायतों का पिटारा खोल दिया है. इसके सार्वजनिक होने के कुछ ही समय बाद, निर्देशक रंजीत बालकृष्णन और एक्टर सिद्दीकी ने दुर्व्यवहार के आरोपों के बीच केरल चलचित्र अकादमी और एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (एएमएमए) में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया.
इतना ही नहीं सोमवार को मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की एक जूनियर कलाकार ने पुरस्कार विजेता एक्टर और निर्देशक बाबूराज पर बलात्कार का आरोप लगाया. हालांकि मलयालम मूवी एक्टर्स एसोसिएशन या एएमएमए के संयुक्त सचिव बाबूराज इन आरोंपो से इनकार किया है. इसी बीच सिंगर चिन्मयी ने न्याय पाने में पीड़ितों के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया, जो कि आजीविका का नुकसान और यौन अपराधों को साबित करने में आने वाली चुनौतियां आती हैं.
उन्होंने गीतकार वैरामुथु और एक्ट्रेस राधा रवि के खिलाफ छेड़छाड़ के आरोप लगाने के बाद डबिंग से प्रतिबंधित होने और सिंगिंग करियर को बुरी तरह प्रभावित करने के अपने अनुभव का हवाला देते हुए एक तेज और संवेदनशील न्याय प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के कारण पीड़ितों के लिए पुलिस शिकायत दर्ज करना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कई साल पहले छेड़छाड़ का अपना अनुभव शेयर किया और उस समय पुलिस स्टेशनों के आसपास की टैबू और मुकदमे की लंबी अवधि के बारे में बताया.
इसके अलावा उन्होंने केरल के उन एक्टर्स की तारीफ की, जिन्होंने यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और इंडस्ट्री में अन्य लोगों से भी ऐसा ही करने की इच्छा व्यक्त की. जबकि कई मामलों में महिलाओं द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे न आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "इसमें से ज्यादात्तर परिस्थितिजन्य साक्ष्य (Circumstantial Evidence) हैं. यहां तक कि चोटें भी कुछ दिनों में ठीक हो जाती हैं." उन्होंने कहा, "हमें शुरू से ही एक तेज और संवेदनशील कानूनी प्रणाली की जरुरत है. हम हर समय बॉडीकैम लेकर नहीं चल सकते. छेड़छाड़ जैसी घटनाएं एक झटके में हो जाती हैं. ICC प्रणाली को सिस्टम को तेज़ बनाने के लिए लाया गया था, लेकिन यह कारगर नहीं रही. राष्ट्रीय महिला आयोग से बहुत उम्मीदें थीं. राजनीतिक वर्ग और फिल्म इंडस्ट्री "मीटू" आरोपों का सामना करने वालों के साथ जुड़ना जारी रखता है. उन्होंने कहा, "राजनेता यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना करने वाले पुरुषों का समर्थन करते हैं क्योंकि वे वोट बैंक हैं."