योद्धा स्टार सिद्धार्थ मल्होत्रा एनडीटीवी के कॉन्क्लेव में पहुंचे अपने अपने एक्सपीरियंस शेयर कर देश के युवा को इंस्पायर किया और बताया कि कैसे वो फोकस के साथ किसी भी फील्ड में आगे बढ़ सकते हैं. सिद्धार्थ ने अपने शुरुआती स्ट्रगल के बारे में भी बताया. उन्होंने याद किया कि जब वो दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे तो कुछ लड़कों के साथ रूम शेयरिंग में रहते थे. यहां से उन्होंने प्लानिंग को लेकर एडवाइस दी. सिद्धार्थ ने बताया, जब हम लड़के साथ रहते थे तो किसी को भी ठीक से खाना बनाना नहीं आता था. ऐसे में हमारी प्लानिंग होती थी कि घर में अंडे जरूर होने चाहिए ताकि तुरंत उबाल कर खा लें...इसके अलावा स्वीट पोटेटो हमारा क्विक स्नैक हुआ करता था.
अपनी जिंदगी से जुड़े इस दौर के साथ सिद्धार्थ ने बताया कि किस तरह लाइफ में हर मोड़ पर अगर आप सही प्लानिंग से चलें तो किसी भी मुश्किल को आसान कर सकते हैं. सिद्धार्थ के लिए मुंबई का सफर भी आसान नहीं था.
योद्धा ने सुनाई 'सफर' की कहानी
सिद्धार्थ ने बताया कि मुंबई आने के बाद उनके असल सफर की शुरुआत हुई. उन्हें किसी फिल्म मेकर ने ये कहकर बुलाया था कि फिल्म के लिए नाम फाइनल हो गया है अब तैयारी करनी है. कुछ समय तक काम चला फिर पता चले कि वो फिल्म नहीं बन रही है और काम नहीं है. इस झटके के बाद 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' तक पहुंचने में सिद्धार्थ को पांच साल लगे. इस बीच उन्होंने 'माय नेम इज खान' के लिए बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर भी काम किया. यहीं से सिद्धार्थ मल्होत्रा अपनी पहली डेब्यू फिल्म तक पहुंचे.