सिद्धांत चतुर्वेदी बनेंगे वी. शांताराम, जानें कौन है ये भारतीय सिनेमा के असली बागी 

 ‘वी. शांताराम’ – भारतीय सिनेमा के असली बागी की कहानी, जिसे अब सिद्धांत चतुर्वेदी बड़े पर्दे पर जीने जा रहे हैं. 

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सिद्धांत चतुर्वेदी निभाएंगे वी शांताराम का किरदार
नई दिल्ली:

भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ नाम हमेशा रोशनी में रहते हैं और कुछ ऐसी महान हस्तियां भी हैं, जिन्हें समय की धूल ने कहीं छुपा दिया. उन्हीं में से एक हैं. भारतीय सिनेमा के साहसी प्रयोगकर्ता और समाज की आवाज़ बनने वाले दिग्गज वी. शांताराम. उन्होंने ऐसी कहानियाँ रचीं, जो मनोरंजन के साथ समाज को आइना भी दिखाती रहीं. फिर चाहे उनकी फ़िल्म ‘नवरंग' हो… या ‘दो आँखें बारह हाथ', जिसे कान फ़िल्म महोत्सव में सम्मान मिला… या फिर भारतीय नृत्य को सम्मान दिलाने वाली ‘झनक झनक पायल बाजे' — हर बार उन्होंने सिनेमा को नयी सोच दी.  अब उनकी ही ज़िंदगी और संघर्ष को बड़े पर्दे पर उतारने जा रहे हैं अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी.  फ़िल्म का नाम है ‘वी. शांताराम'. फ़िल्म का पहला पोस्टर जारी हो चुका है और दर्शकों का उत्साह बढ़ा चुका है. 

कौन थे वी. शांताराम?

मूक सिनेमा से लेकर ध्वनि और फिर रंगीन फिल्मों के दौर तक. हर कदम पर वे भारतीय सिनेमा को आगे ले गए. उनकी फिल्मों में मनोरंजन,समाज का सच, बदलाव की पुकार.  तीनों का संगम मिलता है. इसीलिए उन्हें भारतीय सिनेमा का पहला बाग़ी भी कहा जाता है. 

सिद्धांत चतुर्वेदी बोले -“श्री वी. शांताराम जी को निभाना मेरे जीवन का एक बहुत बड़ा सम्मान है. उनकी यात्रा के बारे में जितना पढ़ा, उतना ही विनम्र होता गया. वे केवल भारतीय और विश्व सिनेमा के पथप्रदर्शक नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी थे जो हर बाधा को पार करते हुए आगे बढ़ते रहे. उनके संसार में कदम रखना मेरे लिए एक अभिनेता के रूप में सबसे अधिक परिवर्तनकारी अनुभव रहा. उनकी ज़िंदगी ने मुझे गहराई से छुआ और धैर्य की शक्ति की याद दिलाई. यह सीख मैं अपने काम और अपने जीवन के हर क्षण में साथ रखना चाहूंगा.”

निर्माता सुबाष काले बोले- “वी. शांताराम जी की विरासत भारतीय सिनेमा के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है. उनका दृष्टिकोण, उनका संघर्ष और उनके नवाचार आज भी हमें प्रेरित करते हैं. इस फ़िल्म के ज़रिये हम उनकी यात्रा को सबसे ईमानदार रूप में श्रद्धांजलि देना चाहते हैं. आज पहला पोस्टर जारी करते हुए हमें गर्व है कि सिद्धांत चतुर्वेदी इस महान विभूति की भूमिका निभा रहे हैं. उनकी निष्ठा और लगन उन्हें शांताराम जी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त बनाती है.”

फिल्म का लेखन और निर्देशन अभिजीत शिरीष देशपांडे कर रहे हैं. निर्माता हैं- राहुल किरण शांताराम, सुबाष काले और सरिता अश्विन वर्धे. 

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