बॉलीवुड यानी मायानगरी एक ऐसी जगह जो अरमानों को संवारती है लेकिन, उसकी भी कुछ शर्तें हैं और उन शर्तों को पूरा करने में अगर आपने कोई कसर छोड़ी तो तमाम संघर्षों के बाद भी आप पूरी जिंदगी इसकी सड़कों की खाक छानते रह जाते हैं. मायानगरी अपनाती है लेकिन संघर्षों के बाद. ऐसा ही कुछ इस अभिनेत्री के साथ भी मायानगरी ने किया लेकिन, तब सिनेमा की सुपरस्टार अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की छोड़ी एक फिल्म ने इस अभिनेत्री की किस्मत का सितारा ही चमका दिया. इस अभिनेत्री का नाम है तनुजा. बतौर चाइल्ड एक्ट्रेस तनुजा ने इस बॉलीवुड में कदम रखा था वह भी उनकी मां शोभना समर्थ के द्वारा बनाई फिल्म के जरिए.
फिल्म का नाम था 'हमारी बेटी' जिसमें तनुजा ने अपनी बड़ी बहन जो इस फिल्म की अभिनेत्री थीं नूतन के बचपन का किरदार निभाया था. छोटी उम्र में ही तनुजा को कई बड़े फैसले लेने पड़े. उस समय फिल्मी दुनिया में इतना पैसा नहीं मिलता था ऐसे में परिवार की बिगड़ी आर्थिक हालत की वजह से 16 साल की उम्र में ही तनुजा को पर्दे पर डेब्यू करना पड़ गया.
तनुजा तो भाषाओं को सीखने की शौकीन थीं तो मां ने उन्हें पढ़ने के लिए स्विट्जरलैंड के सेंट जॉर्ज स्कूल में भेज दिया लेकिन, वह ज्यादा वक्त तक वहां पढ़ाई नहीं कर पाईं, घर की आर्थिक स्थिति खराब हुई और तनुजा को वापसी करनी पड़ी. फिल्म 'हमारी बेटी' मां चाइल्ड आर्टिस्ट का किरदार निभाने के लगभग 10 साल बाद तनुजा को फिल्म 'छबीली' के जरिए बॉलीवुड में दूसरी बार डेब्यू करना पड़ा. उन्होंने अपने पूरे फिल्मी करियर में महज 35 के करीब फिल्में की हैं लेकिन उनकी अदाकारी की छाप दर्शकों के दिल पर जरूर छूट गई. हालांकि 1961 में आई फिल्म 'हमारी याद आएगी' ने तनुजा को फिल्म इंडस्ट्री में एक लीड एक्ट्रेस के रूप में पहचान दिलाई.
इस चुलबुली अभिनेत्री ने काले-सादे यानी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों से शुरू करके रंगीन सिनेमा के पर्दे तक का अपना फिल्मी सफर तय किया. 'रात अकेली है, बुझ गए दिए' और 'ये दिल न होता बेचारा' गाने को जितना उनके बोल के लिए लोगों ने पसंद किया इस गाने में तनुजा की अदाओं के लिए उससे ज्यादा उन्हें पसंद किया गया. हमेशा हंसती रहने वाली तनुजा को पहली फिल्म छबीली की शूटिंग के दौरान ही दो थप्पड़ खानी पड़ गई थी. इस फिल्म के एक सीन में तनुजा को रोना था लेकिन, उन्हें रोना कहां आ रहा था वह तो बार-बार हंस जा रही थीं.
इसके बाद केदार शर्मा जो फिल्म के डायरेक्टर थे उन्होंने उनसे कहा कि रोने का सीन है तो वह साफ कह बैठीं की आज आज मेरा रोने का मूड नहीं है. डायरेक्टर साहब नाराज हो गए और उन्होंने तनुजा को जोरदार तमाचा जड़ दिया. तनुजा घर गईं और मां तो इस बारे में बताया तो मां शोभना ने भी तनुजा को एक और थप्पड़ जड़ दिया. फिर वह तनुजा को लेकर वापस फिल्म के सेट पर आईं और केदार शर्मा से कहा कि अब ये रो रही है, शूटिंग शुरू कर दीजिए. फिर क्या था रोती तनुजा ने इस सीन के लिए परफेक्ट शॉट दिया.
तनुजा सामर्थ और शोमू मुखर्जी ने शादी भी एकदम फिल्मी कहानियों की तरह ही रचाई यानी उनके प्यार से लेकर शादी तक सबकुछ फिल्मी था. दोनों को दो बेटियां हुईं काजोल और तनीषा. फिर तनीषा के पैदा होते ही दोनों अलग हो गए लेकिन दोनों ने एक दूसरे से तलाक नहीं लिया. इज्जत, हाथी मेरे साथी, दो चोर, अनुभव, ज्वेल थीफ, जीने की राह, मेरे जीवन साथी जैसी बेहतरीन फिल्में तनुजा के हिस्से में आईं. 1972 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'हाथी मेरे साथी' में पहले शर्मिला टैगोर को राजेश खन्ना के साथ काम करना था लेकिन यह फिल्म तनुजा के हिस्सा आई और इस फिल्म ने तनुजा के सितारे रातों रात चमका दिए.