बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर और एक्टर पृथ्वीराज कपूर के बेटे शम्मी कपूर एक ऐसे सितारे थे, जिनकी स्क्रीन पर मौजूदगी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थी. हिंदी सिनेमा में ‘एल्विस प्रेस्ली' के नाम से मशहूर शम्मी कपूर की आज, 21 अक्टूबर 2025 को, 94वीं जयंती है. ‘तुमसा नहीं देखा', ‘दिल देकर देखो', ‘जंगली', ‘कश्मीर की कली', ‘तीसरी मंजिल' और ‘अंदाज' जैसी फिल्मों में अपनी बेमिसाल अदाकारी और अनोखे डांस मूव्स से उन्होंने लाखों दिल जीते. शम्मी ने पढ़ाई छोड़कर जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर करियर शुरू किया और बाद में अपने भाई राज कपूर की फिल्म ‘बावरे नैन' में काम कर चुकी एक्ट्रेस से शादी की, जो उनसे एक साल छोटी थीं.
पढ़ाई छोड़ थिएटर से शुरू किया सफर
शम्मी के जन्म के बाद उनका परिवार कोलकाता चला गया, जहां वे 7-8 साल रहे. 1944 में मुंबई आने के बाद पृथ्वीराज कपूर ने पृथ्वी थिएटर की स्थापना की. उस समय 13 साल के शम्मी ने थिएटर के नाटक ‘शकुंतला' में भरत का किरदार निभाया, जिसके कारण उनकी पढ़ाई पर असर पड़ा. कुछ समय बाद कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन शम्मी का मन पढ़ाई में नहीं लगा. आखिरकार उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और पिता के कहने पर पृथ्वी थिएटर में वापस लौटे. वहां उन्होंने 50 रुपये की तनख्वाह पर जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम शुरू किया.
गीता बाली से फिल्मी अंदाज में शादी
शम्मी की मुलाकात एक्ट्रेस गीता बाली से उनके दोस्त और डायरेक्टर हरि वालिया ने फिल्म ‘कॉफी हाउस' (1957) की शूटिंग के दौरान करवाई. बाद में ‘रंगीन रातें' (1956) में गीता के कैमियो रोल के दौरान दोनों करीब आए और प्यार हो गया. शम्मी ने ठान लिया कि शादी गीता से ही करेंगे. गीता शुरुआत में शादी की बात टालती रहीं, लेकिन तीन महीने बाद, 23 अगस्त 1955 की शाम को उन्होंने शादी के लिए हां कर दी, शर्त के साथ कि शादी उसी रात होगी, वरना कभी नहीं. शम्मी ने तुरंत हरि वालिया को बुलाया. तीनों मंदिर पहुंचे, लेकिन पंडित ने बताया कि मंदिर बंद हो चुका है. अगली सुबह, 24 अगस्त 1955 को, सुबह 4-5 बजे बाण गंगा मंदिर में पुजारी ने मंदिर खोला और शम्मी-गीता की शादी हो गई. खास बात यह थी कि जब सिंदूर नहीं था, तो गीता ने अपने पर्स से लिपस्टिक निकाली और शम्मी ने उसी से उनकी मांग भरी, जो एकदम फिल्मी अंदाज में हुआ.