Sawan Somwar Vrat Date: सावन का महीना कब से शुरू हो रहा है? सावन का पहला सोमवार कब है? 11 जुलाई 2025 से सावन का महीना शुरू हो रहा है जो 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन खत्म होगा. सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है. ऐसे में भरी गर्मी के बीच हर किसी को सावन की फुहारों का इंतजार रहता है. हर कोई बस यही सोचता है कि कब बारिश की बूंदें कुदरत को फिर से संवार दें. सावन का ये महीना बॉलीवुड के गीतकारों का फेवरेट महीना रहा है. मूड कोई भी हो रोमांस या ब्रेकअप, मिलन या जुदाई सावन की बूंदों से हर जज्बात सराबोर ही नजर आएगा. बॉलीवुड ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन हो गया पर सावन के कोई तोड़ नहीं ढूंढ सका. इस पर इतने खूबसूरत और सुरमयी गाने बने कि इनकी एक लिस्ट बनानी हो तो समझ नहीं आता कौन नंबर एक और कौन दो.
सावन का महीना पवन करे ‘सोर' (मिलन)
सावन के महीने में जब सांय सांय हवा चलती है पवन के उस शोर के साथ गीत के यही बोल कानों में गूंजते हैं. इतना ही नहीं मन ही मन करेक्शन भी हो जाता कि शोर नहीं बाबा सोर-सोर.
आया सावन झूमके (आया सावन झूम के)
गर्मी में तपती धरती और सूखती जमीन पर जब बदरा की बूंदें पड़ती हैं तो मन मयूर कुछ यूं ही झूम उठता है. हवाओं के हिचकोलों पर सवार बदरा बरसते हैं तो सावन का स्वागत कुछ इसी अंदाज में होता है जैसे आशा पारेख और धर्मेंद्र इस गाने में कर रहे हैं.
सावन के झूले पड़े (जुर्माना)
सावन झूम कर बरसे तो धरती ही नहीं मन की प्यास भी बुझा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं कि बारिश पर सिर्फ खुशी हवाओं वाले गाने ही हों. कुछ हार्टब्रेक की फीलिंग लेकर भी आते हैं. जैसे इस गाने में राखी का दर्द भी कुछ यूं ही नजर आ रहा है.
कुछ कहता है ये सावन (मेरा गांव मेरा देस)
जब धर्मेंद्र पूछते हैं कि ये सावन कहता क्या है, तो आशा पारेख का जवाब होता है शाम सवेरे दिल में मेरे तू रहता है. गाना सुनकर ही पूरे मौसम की फीलिंग चेंज हो जाए.
अब के सजन सावन में (चुपके-चुपके)
चुपके-चुपके का ये गाना बड़ा ही मजेदार है. पूरे परिवार के बीच बैठ शर्मिला टैगोर और धर्मेंद्र के बीच जो सीन रचे गए थे बड़े ही कमाल थे.
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है (चांदनी)
जुदाई के दर्द की टीस लेकर चांदनी का ये गाना कोई कैसे भूल सकता है. विनोद खन्ना की परफॉर्मेंस और श्रीदेवी की मौजूदगी ने इस गाने पर चार चांद लगा दिए.
रिमझिम गिरे सावन (मंजिल)
अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी की खूबसूरत कैमिस्ट्री से सजा गीत. नाजुक से जज्बातों की सुरमयी कहानी है.
तुम्हें गीतों में ढालूंगा, सावन को आने दो (सावन को आने दो)
मिलने-बिछड़ने तक तो ठीक है यहां तो प्रेमी अपनी प्रेमिका को ही गीतों में ढाल लेना चाहता है. पर उसके लिए भी इंतजार है सावन का.
हाय हाय ये मजबूरी (रोटी, कपड़ा और मकान)
ये गाना आपने सुना है. नहीं सुना हो तो अब सुन लीजिए और समझ लीजिए कि नौकरी के आगे सावन की कीमत लाखों की है. तभी तो जीनत अमान ने मनोज कुमार की नौकरी को दो टके की बता दिया.
मैं प्यासा तुम सावन (फरार)
सावन पर बना ये गीत. आपको यकीन दिलाएगा कि सावन सिर्फ मिलने बिछड़ने, प्यार और तकरार का नाम नहीं. ये एक इत्मीनान भी तो है कि जब कोई नहीं तो इस प्यासे का सहारा सिर्फ तुम हो. अमिताभ बच्चन के सवाल पर हर बार यही ढांढस तो बंधा रही हैं शर्मिला टैगोर.