Sarfira Review: अक्षय कुमार अब तो मान जाओ यार, जानें कैसी है सरफिरा, पढ़ें मूवी रिव्यू

Sarfira Movie Review in Hindi: जानें कैसी है अक्षय कुमार, राधिका मदान और परेश रावल की सरफिरा, पढे़ं मूवी रिव्यू.

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Sarfira Review In Hindi सरफिरा का रिव्यू हिंदी में
नई दिल्ली:

Sarfira Review: साउथ में एक फिल्म बनती है. वो फिल्म कुछ इस शिद्दत के साथ बनाई जाती है कि जिसकी कहानी से लेकर एक्टिंग तक गहरे तक छू जाते हैं. इतने गहरे तक कि फिल्म खूब कामयाब होती है और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में भी छा जाती है. यानी जो भी ये फिल्म डिजर्व करती है वो उसको मिलता है. लेकिन ये फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई थी. बस फिर क्या था, मेकर्स को लगा इसको हिंदी में बनाते हैं और सिनेमाघरों में रिलीज करते हैं और बम्पर कमाई करते हैं. बस यही बात फिल्म के लिए मुसीबत बन जाती है. यहां हम बात कर रहे हैं साउथ सुपरस्टार सूर्या की 2020 की हिट फिल्म सोरारई पोटरु की जिसका हिंदी डब वर्जन उड़ान के नाम से मौजूद है. फिल्म की कहानी इंस्पिरेशनल है. लेकिन क्या बॉलीवुड साउथ की इस कामयाब फिल्म के रीमेक के साथ इंसाफ कर पाता है तो इसका जवाब बहुत ही सीधा-सादा है, नहीं. 

सरफिरा रिव्यू

अक्षय कुमार की सरफिरा साउथ की सोरारई पोटरु की हिंदी रीमेक है. जिसे सुधा कोंगरा ने डायरेक्ट किया है जिन्होंने ओरिजनल फिल्म को भी डायरेक्ट किया था. यानी कुछ-कुछ विक्रम वेधा जैसा इत्तेफाक, जिसे गायत्री पुष्कर ने डायरेक्ट किया था, जिन्होंने तमिल में इस ब्लॉकबस्टर फिल्म को डायरेक्ट किया था. लेकिन हिंदी में आते ही ये अपनी चमक खो बैठी थी. ऐसा ही कुछ सरफिरा के साथ भी है. कहानी एक शख्स की है जो एक सस्ती एयरलाइंस बनाना चाहता है. लेकिन चीजें इतनी आसान नहीं हैं और उसका एक लंबा संघर्ष है. तमिल फिल्म को मराठी परिवेश में रचा-बसा गया है और ये शख्स अक्षय कुमार बने हैं. अक्षय कुमार का बायोपिक का अभी तक का रिकॉर्ड बहुत सफल नहीं रहा है. फिर वो चाहे सम्राट पृथ्वीराज हो या फिर मिशन रानीगंज. सरफिरा भी उसी में एक और नाम जुड़ता हुआ नजर आ रहा है. 

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सरफिरा में अक्षय कुमार किरदार के साथ इंसाफ करते नजर नहीं आते हैं. जैसा कि अक्षय कुमार के साथ है कि वह साल में चार-पांच फिल्में करते हैं तो किरदारों को समय दे पाना उनके लिए मुश्किल नजर आता है. यही उनके साथ सबसे बड़ी मुश्किल है. यहां एक्टिंग के मामले में वह थोड़ा उथले रह जाते हैं. राधिका मदान और परेश रावल भी फिल्म हैं, उन्होंने भी ठीक-ठाक मेहनत की है. लेकिन बहुत ही औसत हैं.

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सुधा कोंगरा ने फिल्म को पूरी शिद्दत के साथ बनाया है. कहानी भी प्रेरक रखी है. लेकिन फिल्म कनेक्शन बना पाने में असफल रहती है. सरफिरा में ड्रामा सिर चढ़ के बोलता है. सबकुछ बहुत ही गढ़ा हुआ सा लगता है. फिर फिल्म खत्म होने के बाद जेहन में यही सवाल कौंधता है कि अपने ही बनाए मास्टरपीस के साथ सुधा को छेड़छाड़ करने की क्या जरूरत थी? 

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सरफिरा को लेकर वर्डिक्ट की बात करें तो यह अक्षय कुमार की एक एवरेज फिल्म है जिसकी कहानी प्रेरक है. लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि एक मास्टरपीस जब मौजूद है तो उसकी कॉपी क्यों देखें? तो इसका जवाब यही है कि अगर आप अक्षय के फैन हैं  तो इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं. बाकी सबकुछ मर्जी पर निर्भर करता है.

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रेटिंग: 2/5 स्टार
डायरेक्टर: सुधा कोंगरा
कलाकार: अक्षय कुमार, परेश रावल और राधिका मदान

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