इस एक्ट्रेस को रोता नहीं देख पाए थे संजीव कुमार, लगाना चाहते थे गले, लेकिन...

संजीव कुमार की पर्दे पर एक दमदार हीरो की इमेज थी. लेकिन रियल में वह एक सॉफ्ट हार्टेड पर्सन थे, जिसका सबूत शोले का ये किस्सा है. 

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संजीव कुमार से नहीं देखा गया था इस एक्ट्रेस का रोना
नई दिल्ली:

कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनकी एक्टिंग महसूस की जाती है, उनके चेहरे के भावों में ही किरदार की कहानी छुपी होती है. ऐसे कलाकारों में ही शुमार थे 'संजीव कुमार'. वह अपने अभिनय से हर किरदार में जान फूंकने का हुनर रखते थे. कौन भूल सकता है 'शोले' के ठाकुर बलदेव सिंह को! संजीव कुमार ने किरदार को इस तरह पर्दे पर निभाया कि आज भी वो लोगों के जेहन में जिंदा हैं. उनके इस किरदार से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है. इस किस्से को 'शोले' के लेखक जावेद अख्तर ने अनुपमा चोपड़ा की किताब 'शोले: द मेकिंग ऑफ क्लासिक' में बयां किया. फिल्म की शूटिंग का आखिरी दिन था और आखिरी सीन शूट हो रहा था.

इस सीन में, जय (अमिताभ बच्चन) की मौत से ठाकुर की बहू राधा (जया बच्चन) टूट चुकी होती है. इस सीन में दिखाए गए दर्द को संजीव कुमार इतनी गहराई से महसूस करते हैं कि वह आगे बढ़कर राधा को गले लगाने के लिए जाते हैं. इस दौरान डायरेक्टर रमेश सिप्पी उन्हें रोकते हैं और याद दिलाते हैं कि आप राधा को गले नहीं लगा सकते, क्योंकि फिल्म में आपके हाथ नहीं हैं. यह किस्सा उनकी भूमिका निभाने की शिद्दत को दिखाता है कि वह अपने किरदार को किस हद तक जीते हैं.

संजीव कुमार स्क्रीन पर आत्मविश्वास से लबरेज दिखते थे, लेकिन निजी जिंदगी कुछ अलग सी ही थी. अंधविश्वासी भी थे. अक्सर अपने दोस्तों से कहते थे कि वो 50 साल तक नहीं जी पाएंगे. इसके पीछे तर्क देते कि उनके परिवार में ऐसा होता आया है. घर के पुरुष सदस्यों की मौत 50 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है. सबके प्यारे हरि भाई का यह डर सच साबित हुआ. 6 नवंबर 1985 को महज 47 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. संजीव कुमार के अभिनय का सफर छोटा जरूर था, लेकिन इतना असरदार था कि आज भी वह लोगों के दिल में बसे हुए हैं,

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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