बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के पिता सलीम खान एक शानदार स्क्रीनराइटर हैं, इसमें कोई शक नहीं हैं. जावेद अख्तर के साथ मिलकर उन्होंने ही फिल्म शोले लिखी थी, जो सिनेमा के इतिहास में अमर हो चुकी है. सलीम खान एक प्योर फैमिली मैन हैं. दो शादी के बाद भी दोनों पत्नियां उनके साथ रहती हैं. सलीम की पहली पत्नी हिंदू तो दूसरी क्रिश्चियन है और वह खुद एक मुसलमान हैं. उनकी फैमिली सेकुलरिज्म का बड़ा उदाहरण है. इसी के साथ वह अपनी दोनों पत्नियों के धर्मों का भी खूब पालन करते हैं. उन्होंने अपने हालिया इंटरव्यू में बताया कि उन्हें निकाह से पहले सात फेरे लिए थे. उनकी पत्नी सुशीला चक्र घर में पूजा करती हैं और वह नमाज पढ़ते हैं. सलीम खान के घर में होली, दिवाली, गणेश चतुर्थी सभी हिंदू-मुस्लिम और क्रिश्चियन त्योहार सेलिब्रेट होते हैं.
शादी से किसे थी आपत्ति ?
सलीम ने बताया, 'सुशीला की फैमिली को हमारी शादी से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन रिश्तेदारों को थी,लेकिन मेरे परिवार को कोई आपत्ति नहीं थी, मेरे ससुर ने मेरा बैकग्राउंड चेक किया, उन्हें पता चला कि मेरे पिता डीएसपी थे, तो रिश्ते की बात आगे बढ़ाई, बस थोड़ा धर्म आड़े आ रहा था, मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि अगर हमारे बीच मतभेद या झगड़े भी होते हैं, तो भी मैं और मेरी पत्नी अपने धर्म की वजह से ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगे, हमारी शादी को अब 60 साल हो गए हैं'.
सलीम ने पूरी की पत्नी की 7 फेरे की इच्छा
सलीम ने आगे बताया,'मेरी पत्नी को सात फेरे की रस्म बहुत पसंद थी और उसने अपनी बहन और चचेरे भाई को भी इसे निभाते देखा था, इसलिए मैंने खुद अपने इलाके में एक पंडित को ढूंढा और फेरे लगवा लिए, हमने निकाह भी करवाया, जो असल में एक ऐसी रस्म है जो यह सुनिश्चित करती है कि आप किसी दबाव या जबरदस्ती में शादी तो नहीं कर रहे हैं'.
खान परिवार में गोमांस नहीं खाते
सलीम ने यह भी खुलासा किया कि हालांकि कई मुस्लिम परिवारों में गोमांस आम तौर पर खाया जाता है, क्योंकि इसे सस्ता माना जाता है, लेकिन खान परिवार ने इसे कभी नहीं खाया. भारत में, गोमांस एक धार्मिक विवाद का विषय भी, है क्योंकि हिंदू धर्म में गायों को पवित्र माना जाता है. सलीम ने कहा, 'इंदौर से लेकर मुंबई तक, हमने कभी गोमांस नहीं खाया, कुछ तो इसे पालतू कुत्तों को खिलाने के लिए भी खरीदते हैं, पैगंबर मोहम्मद ने हर धर्म से अच्छी बातें अपनाई हैं, जैसे केवल हलाल मांस खाना, जो यहूदियों से लिया गया था, जो इसे कोषेर कहते हैं, उन्होंने माना है कि हर धर्म अच्छा है और हमारी तरह एक सर्वोच्च शक्ति में विश्वास करते है'.