Saina Movie Review: साइना नेहवाल बैडमिंटन की दुनिया में ऐसा नाम है, जिन्होंने न सिर्फ इस खेल में नित नई ऊंचाइयों को हासिल किया बल्कि इस गेम को देश में लोकप्रियता भी दिलवाई. साइना नेहवाल (Saina Nehwal) का संघर्ष और फिर ओलंपिक मेडल तक पहुंचने की कहानी इंस्पिरेशन से भरपूर है. इस कहानी को देख किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. फिर साइना नेहवाल जैसी शख्सियत को कैमरे पर उतारना आसान नहीं है. ऐसा ही कुछ 'साइना (Saina)' के बारे में भी कहा जा सकता है. फिल्म की कहानी जितनी इंस्पिरनेशनल है, उसे उसी शिद्दत के साथ नहीं बनाया गया है.
साइना नेहवाल (Saina Nehwal) के जुनून में उनके माता-पिता किस तरह उनका साथ और कुर्बानियां देते हैं, फिल्म में दिखाया गया है. फिल्म में इमोशंस को जमकर पिरोया गया है और साइना किस तरह अपने खेल को समर्पित हैं दिखाया गया है. साइना का खेल, खेल और खेल को लेकर जुनून और उनके कोच का सिर्फ खेल पर फोकस करने का मंत्र छाया रहता है. लेकिन जुनूनी साइना को मजबूती के साथ अपनी बात रखना भी आता है. इस तरह साइना की कहानी के जहां सारे पक्ष दिखाए गए हैं, वहीं फिल्में भावनाएं जरूर हावी होती नजर आती हैं.
'साइना (Saina)' पूरी तरह से साइना नेहवाल पर फोकस्ड है, तो साइना के बचपन का किरदरा निभाने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी ने वाकई शानदार काम किया है. नायशा कौर भतोए की आंखों में साइना नजर आती हैं, और उन्होंने कैरेक्टर को गहराई तक पकड़ा है. जब तक साइना की उम्र का यह दौर रहता है, फिल्म में मजा आता है और कैरेक्टर का हर पक्ष देखने को मिलता है. लेकिन परिणीति चोपड़ा (Parineeti Chopra) के आने से साइना के किरदार से उनकी पकड़ छूटती नजर आती है. वह इस किरदार से कहीं-कहीं इंसाफ नहीं कर पाती हैं. वह साइना के कैरेक्टर की बारिकियों को पकड़ने से भी चूकती हैं. मिसाल के तौर पर उस सीन को लिया जा सकता है जब मानव कौल पूछते हैं कि कौन वर्ल्ड नंबर वन बैडमिंटन प्लेयर हो सकता है. यहां परिणीति का एक्सप्रेशन थोड़ा हैरान करता है.
बायोपिक बनाते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि आइकन के साथ कोई नाइंसाफी न हो सके. बायोपिक फिल्मों की बेहतरीन मिसाल 'भाग मिल्खा भाग' है, और जिस शिद्दत के साथ फरहान अख्तर ने अपने किरदार को निभाया है, वह काबिलेतारीफ है. लेकिन 'साइना' की बात करें तो हमें वह शिद्दत और उस स्तर की एक्टिंग मिसिंग लगती है. जिस तरह की फायर एक एथलीट और साइना के कैरेक्टर में देखने की उम्मीद थी वह मिसिंग है. फिल्म का निर्देशन अमोल गुप्ते ने किया है, जो एवरेज है. सिर्फ इस फिल्म को साइना नेहवाल की जिंदगी को करीब से जानने के लिए देखा जा सकता है, जिसमें मेहनत, जुनून, देशभक्ति, माता-पिता का प्यार और सपने जब कुछ पिरोया गया है.
रेटिंगः 2.5 स्टार
डायरेक्टरः अमोल गुप्ते
कलाकारः परिणीति चोपड़ा, मेघना मलिक, मानव कौल और नायशा कौर भतोए