रोहमन शॉल इंडस्ट्री में जाना माना नाम हैं, जिन्होंने सुष्मिता सेन के साथ अपने रिश्ते के तौर पर तो पर्सनली सुर्खियां बटोरीं. लेकिन एक्टर के तौर पर उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई शिवाकार्तिकेयन और साई पल्लवी की फिल्म में नेगेटिव उन्होंने पॉपुलैरिटी हासिल की. अब उनकी वास्तविक घटनाओं पर आधारित शॉर्ट फिल्म आजादी- भीतर का युद्ध चर्चा में है, जो 26 जनवरी को रिलीज हो गई है. इसे जम्मू फ़िल्म फ़ेस्टिवल और झारखंड फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भी पुरस्कार मिल चुके हैं. इसी को लेकर उनसे NDTV की रोजी पंवार से खास बातचीत की.
आपने कहा था कि आप एक्टर शुरू में एक्टर बनना नहीं चाहते थे. तो आमरण में कैसे आप आए.
क्या हुआ था. जब लाइफ में एक ऐसा फेज आता है तब आपको पता नहीं होता है क्या करना है. ऐसे फेज में फिल्म आजादी के जो डायरेक्टर हैं अखिल. उनका फोन आया. उन्होंने मुझे कहानी बताई. क्योंकि मैं डरा हुआ था. मुझे पता नहीं था कि मैं एक्टिंग कर भी पाउंगा या नहीं. मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, जिसके बाद मुझे एहसास हुआ कि बाप रे यह तो बहुत ज्यादा काम है. मुझसे शायद नहीं हो पाएगा. तो मैंने उनसे बोला कि नहीं मुझे बहुत पैसे चाहिए इसके लिए. ताकि वह मना कर दें. उन्होंने कहा इतना तो नहीं हो पाएगा. फिर मैंने जिस दिन फिल्म का शूट के बारे में बताया था.मैंने उस दिन उन्हें ऑल द बेस्ट फॉर द फिल्म का मैसेज किया.फिर उन्होंने कहा कि रोहमन मुझे तू ही चाहिए. मुझे और कोई मिल नहीं रहा. जच नहीं पा रहा मेरे लिए. मुझे तू ही अच्छा लगता है इस रोल में . तो उनका वो दृढ़ विश्वास अच्छा लगा, जो उन्होंने मुझ पर दिखाया. कि जो किसी और को मुझ पर दिख रहा है तो कुछ तो होगा मुझ में. तो वो आया, जिसके बाद मैंने काम किया फिल्म में तो खुद पर भरोसा होने लग गया. तो आखिरकार मूवीज का वहां से बना.
एक्टिंग के लिए किससे प्रेरणा ली या कौन आपकी प्रेरणा बनीं?
मेरी जिंदगी मेरी प्रेरणा बन गई. क्योंकि मैं मानता हूं कि जो मैंने लाइफ में एक्सपीरियंस किया. उस पल तक वो मुझे एक्टिंग तक ले गई. मैं ऐसा इंसान हूं कि किसी को देखकर कुछ कर नहीं पाता.मेरी लाइफ में जो सीखता हूं उसी से कुछ कर पाता हूं. मेरे लिए मेरी जिंदगी ही प्रेरणा है एक्टिंग को लेकर. और मैं आज भी वही करता हूं. जब मैं किसी रोल के लिए तैयारी करता हूं तो किसी और को नहीं देखता. मैं पढ़ता और देखता हूं कि कैसे इसे कर सकता हूं.
आपने बॉलीवुड की जगह साउथ को क्यों चुना?
जवाब- उस टाइम पर जो फिल्म आई, जो ऐसे आई कि लोग सोचते हैं कि रोहमन बहुत स्वीट हैं और ये वो. लेकिन ये कैरेक्टर इसके बिल्कुल अपोजिट है, जो मुझे डायरेक्टर ने बोला तो बहुत अच्छा लगा कि कोई मुझे दूसरी तरीके से देख पा रहा है. और मुझे पता था कि जब आप कुछ ऐसा कुछ प्ले करोगे, जो आपसे अलग है तो लोग आपकी एक्टिंग को ज्यादा देखेंगे लुक्स से ज्यादा. यह एक फैसला था, जो मैंने लिया, जो अच्छा हुआ और मैं काफी खुश हूं.
आपका आमरण में नेगेटिव रोल में आपके काम की फैंस ही नहीं सुपरस्टार कमल हासन ने भी तारीफ की. तो आगे नेगेटिव या पॉजीटिव रोल किस में देख पाएंगे?
एक्टर के तौर पर मैं नेगेटिव-पॉजीटिव देखता नहीं हूं. पूरी फिल्म क्या है और आपका केरेक्टर क्या है.अगर वो रोल उस फिल्म को आगे बढ़ा रहा है तो मैं नेगेटिव पॉजीटिव इतना ज्यादा सोचता नहीं हूं. जी हां मुझे बहुत सारे अलग अलग तरीके के किरदार करने हैं. ये नहीं कि खाली नेगेटिव ही करना है.आमरण के बाद मुझे ऑप्शन आ रहे हैं.हर चीज बहुत अलग है. बेहद एक्साइटिंग होता है करना.मैं हमेशा कहता हूं कि धूम में जॉन अब्राहम को विलेन के रोल में देखा था. उस टाइप का विलेन का रोल करना है. सब करना है मुझे.
आजाद शॉर्ट फिल्म क्या है और किस बारे में हैं. इसके बारे में कुछ बताएं?
आजादी में जब पहली बार आप कश्मीर की बात करते हैं तो हम हमेशा आर्मी या वहां के लोगों की. लेकिन बीच में जो रह जाते हैं जेएन के पुलिसवाले. क्योंकि उनको दोनों तरीके से कोई नहीं सपोर्ट करता. लोग कहते हैं कि आप उन लोगों के साथ हो और दूसरे कहते हैं आप उन लोगों के साथ हो. तो वो बीच में पिस जाते हैं हमेशा. तो उनकी लाइफ कैसे जी जाती है आजादी उसके ऊपर बनी है. अदनान मेरे रोल का नाम है, जो एक पुलिस अफसर है. उसकी लाइफ दिखाते हैं कि वह काम पर कैसा है. घर पर कैसा है. उसकी गर्लफ्रेंड के साथ कैसा है. एक वो पूरा एक्सपलोर किया गया है.
आपको सुष्मिता सेन के साथ काम करने का मौका मिले तो किस तरह का रोल आप निभाना चाहेंगे?
मैं बोलूंगा कि इतने अमेजिंग एक्टर के साथ मुझे खाली स्क्रीन पर केवल खड़ा भी रहना पड़े तो मैं वो भी कर लूंगा. जी क्यों नहीं. मेरे हिसाब से दुनिया का तो पता नहीं भारत की बेस्ट एक्ट्रेसेस में से एक हैं. उनके साथ स्क्रीन शेयर करना मेरे लिए बहुत बड़ी बात होगी. बिल्कुल मैं उनके साथ काम करना चाहूंगा चाहे कोई भी रोल हो.