बॉलीवुड और साउथ सिनेमा की दुनिया में कई ऐसी कहानियां हैं जो बाहर से चमकदार लगती हैं, लेकिन अंदर से बेहद पीड़ादायक होती हैं. ऐसी ही एक भावुक और संघर्षों से भरी कहानी है मशहूर एक्ट्रेस पुष्पावल्ली की जिनकी बेटी आज हिंदी सिनेमा की सदाबहार एक्ट्रेस रेखा हैं. पुष्पावल्ली का जन्म 1926 में हुआ था और उन्होंने बचपन में ही एक्टिंग की दुनिया में कदम रख दिया. छोटी सी उम्र में वे चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में नजर आईं और रामायण में छोटी सीता का किरदार निभाया. लेकिन असली पहचान उन्हें 1947 में रिलीज हुई तमिल फिल्म ‘मिस मालिनी' से मिली, जिसमें वे लीड रोल में थीं. इस फिल्म ने उन्हें तमिल और तेलुगु सिनेमा में काफी लोकप्रियता दिलाई.
14 साल की उम्र में की पहली शादी
पुष्पावल्ली ने कई सफल फिल्में कीं और 1930-40 के दशक में साउथ इंडस्ट्री की लीड एक्ट्रेस में शुमार हुईं.
फिल्मी सफर जितना सफल रहा, निजी जीवन उतना ही चैलेंजिंग रहा. पुष्पावल्ली ने 14 साल की उम्र में ही आई.वी. रंगचारी से शादी कर ली थी, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं टिका. 1946 तक दोनों अलग रहने लगे. इस शादी से उनके दो बच्चे हुए.
टूट गई शादी लेकिन फिर हुआ प्यार
उनकी जीवन में नया मोड़ तब आया, जब ‘मिस मालिनी' के सेट पर उनकी मुलाकात उभरते एक्टर जेमिनी गणेशन से हुई. दोनों के बीच गहरा प्रेम हो गया. लेकिन उस समय जेमिनी गणेशन पहले से ही शादीशुदा थे और उनके छह बच्चे भी थे. इस रिश्ते में पुष्पावल्ली ने कभी वैवाहिक दर्जा नहीं मांगा, फिर भी वे इस प्यार में पूरी तरह डूब गईं. इस रिश्ते से उनकी दो बेटियां हुईं – बड़ी बेटी रेखा (भानुरेखा) और छोटी राधा.
जेमिनी गणेशन ने कभी नहीं माना पत्नी!
जेमिनी गणेशन ने कभी पुष्पावल्ली को पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया और न ही बेटियों को सार्वजनिक रूप से अपनी संतान माना. इस वजह से पुष्पावल्ली को समाज की कई नजरों और तानों का सामना करना पड़ा. आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने अकेले ही अपनी बेटियों की परवरिश की. छोटे-मोटे किरादरों में काम करके परिवार चलाया और अपनी बेटी रेखा को भी बचपन से ही फिल्मों में काम करने के लिए प्रेरित किया.
बेटी रेखा को भी कम उम्र में बनाया एक्ट्रेस
बड़ी बेटी रेखा ने हिंदी सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाई और आज भी सदाबहार एक्ट्रेस के रूप में जानी जाती हैं. छोटी बेटी राधा ने भी कुछ समय तक तमिल फिल्मों में काम किया, बाद में उन्होंने शादी कर ली और अमेरिका में बस गईं. पुष्पावल्ली ने 1991 में दुनिया को अलविदा कहा. उनकी जिंदगी प्रेम, त्याग, संघर्ष और मातृत्व की मिसाल है – एक ऐसी महिला की, जिसने बिना किसी सामाजिक मान्यता के अपने प्यार और बच्चों के लिए जीवन समर्पित कर दिया.