RRR, KGF, PS…आखिर क्यों रखे जाते हैं साउथ फिल्मों के इतने छोटे और उलझे नाम?

साल था 1995, फिल्म थी ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, और यह हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म, थी जिसे इसके शॉर्ट फॉर्म यानी छोटे नाम ‘DDLJ’ से जाना गया और ये नाम काफी मशहूर भी हो गया.

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दक्षिण की फिल्मों के नाम इतने छोटे-छोटे और उलझे हुए क्यों होते हैं
नई दिल्ली:

आज ही अल्लू अर्जुन और दीपिका पादुकोण की नई फिल्म का एलान हुआ है, जिसका नाम AA22 x A6 है. अब जब आप ऐसा नाम सुनते हैं तो मन में सवाल उठता है, 'भाई, ये नाम है या पासवर्ड?'. चलिए, आज के वक्त से थोड़ा पीछे चलते हैं. साल था 1995, फिल्म थी ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', और यह हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म, थी जिसे इसके शॉर्ट फॉर्म यानी छोटे नाम ‘DDLJ' से जाना गया और ये नाम काफी मशहूर भी हो गया. इसके बाद जो दूसरी फिल्म शॉर्ट फॉर्म से खूब पहचानी गई वो थी 'रहना है तेरे दिल में (RHTDM)', जो 2001 में रिलीज हुई थी. इन फिल्मों से पहले बड़े नामों का चलन नहीं था और निर्माता-निर्देशक लंबे नामों से बचते थे. लेकिन उसके बाद हिंदी फिल्मों के गानों के मुखड़ों से प्रेरित कई फिल्मों के नाम रखे जाने लगे.

जैसे 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे', यह नाम 1975 में रिलीज शशि कपूर और मुमताज की फिल्म 'चोर मचाए शोर' के एक गाने 'ले जाएंगे ले जाएंगे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से प्रेरित था. 'प्यार किया तो डरना क्या' मुग़ले-ए-आज़म का गाना था, जिसे सलमान खान की फिल्म का नाम बना दिया गया. 'अंखियों से गोली मारे' पहले गोविंदा-रवीना के गाने का मुखड़ा था, फिर फिल्म का नाम बन गया.

अब आते हैं आज की फिल्मों पर:

आजकल पैन इंडिया फिल्मों का जमाना है. एक ही फिल्म तेलुगु, तमिल, हिंदी, कन्नड़ जैसी कई भाषाओं में रिलीज होती है. ऐसे में अगर फिल्म का नाम सिर्फ दक्षिण भारतीय भाषा में होगा, तो बाकी भाषाओं के लोगों को वो नाम याद रखना मुश्किल हो जाता है. इसलिए ज़्यादातर फिल्में अपने वर्किंग टाइटल से जानी जाती हैं. यानी फिल्म किस स्टार की है और यह उसकी कौन सि फिल्म है, उसी के हिसाब से नाम रखा जाता है.

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तो चलिए जानते हैं इन शॉर्ट और कोड-जैसे नामों के पीछे की असली वजहें

1. बहुभाषी रिलीज की वजह से

फिल्में अब कई भाषाओं में रिलीज होती हैं, इसलिए ऐसा नाम जरूरी हो गया है, जो हर भाषा में एक जैसा दिखे और समझ में आए, जैसे- KGF, RRR, Leo. ये नाम सबको आसानी से याद रहते हैं.

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2. नाम अक्सर बाद में तय होता है

साउथ में कई बार फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाती है, लेकिन असली टाइटल बाद में बताया जाता है. तब तक लोग उसे हीरो के नाम और फिल्म नंबर से पहचानते हैं, जैसे AA22 मतलब अल्लू अर्जुन की 22वीं फिल्म.

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3. नाम ज्यादा लंबे होते हैं

दक्षिण की भाषाओं में नाम कई बार इतने लंबे होते हैं कि उन्हें हिंदी या अंग्रेज़ी में लिखना और बोलना मुश्किल होता है. इसलिए लोग उसका छोटा नाम बना लेते हैं.

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4. स्टार ही पहचान होता है

यहां फिल्म से ज्यादा उसका हीरो मायने रखता है, जैसे 'ये तो रामचरण की RC15 है', 'महेश बाबू की SSMB29 है', और नाम की जगह शॉर्ट फॉर्म ज्यादा फेमस हो जाती है.

5. सोशल मीडिया के लिए आसान

छोटे नाम जल्दी ट्रेंड होते हैं. हैशटैग बनाना आसान होता है, और फैंस भी जल्दी से पहचान लेते हैं कि बात किस फिल्म की हो रही है.

तो अगली बार जब आप AA22, RC15 या SSMB29 जैसा नाम सुनें, तो समझ जाइए ये सिर्फ नाम नहीं, एक स्मार्ट स्ट्रैटेजी है, जिससे फिल्म को पैन इंडिया में पहचान मिलती है!

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