हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में शुमार शोले आज भी अपने दमदार किरदारों, डायलॉग और भावनाओं से दर्शकों के दिलों में बसी हुई है. फिल्म के डायलॉग और सिचुएशन्स जितनी फेमस हैं. फिल्म के बनने से जुड़े किस्से भी उतने ही दिलचस्प रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है फिल्म के क्लाइमेक्स से. आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्ममेकर रमेश सिप्पी ही फिल्म में अमिताभ बच्चन को मरता हुआ नहीं दिखाना चाहते थे. एनडीटीवी से हुई एक खास बातचीत में रमेश सिप्पी ने बताया कि क्यों उन्हें इस ट्रैजिक क्लाइमेक्स पर डाउट था और क्यों उसे नहीं बदला गया.
दर्शकों की प्रतिक्रिया और सिप्पी का फैसला
रमेश सिप्पी ने इंटरव्यू में बताया, “रिलीज के शुरुआती दिनों में सुझाव आया था कि जय की मौत को हटा दिया जाए. लोग कह रहे थे कि अमिताभ इतने लोकप्रिय हैं उन्हें मरना नहीं चाहिए. एक समय मुझे भी चिंता हुई.” असल में फिल्म में साइन होने से पहले धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन से ज्यादा बड़े स्टार थे. लेकिन फिल्म रिलीज होने तक अमिताभ बच्चन काफी पॉपुलर हो चुके थे. इतने पॉपुलर स्टार की मौत दिखा कर रमेश सिप्पी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. लेकिन स्टोरी राइटर सलीम जावेद अपनी कहानी को लेकर कॉन्फिडेंट थे. रमेश सिप्पी ने आगा कहा, “मैंने भी गौर किया कि उनकी कई सफल फिल्मों में उनका किरदार मरता है और यही अंत दर्शकों पर ज्यादा असर छोड़ता है. अगर हम जय की मौत बदल देते, तो क्लाइमेक्स और बदले की कहानी कमजोर पड़ जाती.”
इंतजार का नतीजा और यादगार क्लाइमेक्स
निर्माताओं ने दर्शकों की राय के बावजूद अंत को न बदलने का फैसला किया और प्रतिक्रिया का इंतजार किया. सिप्पी बताते हैं कि यही निर्णय फिल्म की सबसे बड़ी ताकत साबित हुआ. जय की मौत ने न सिर्फ कहानी को गहराई दी. बल्कि दर्शकों के दिल में भी इमोशनल असर छोड़ा. यही वजह है कि शोले का यह क्लाइमेक्स आज भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रभावशाली और यादगार माना जाता है.