रामायण की सीता की ऑनस्क्रीन माता की गला रेतकर की गई थी हत्या, घर पर मिली थी खून से लथपथ लाश, रूह कंपा देगी दास्तां

रामानंद सागर के रामायण की एक अभिनेत्री की हत्या गला रेतकर  बड़ी बेरहमी से कर दी गई थी. आइए जानते हैं कौन थीं वो.

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रामायण की सीता ऑनस्क्रीन माता की गला रेतकर की गई थी हत्या
नई दिल्ली:

रामानंद सागर की पौराणिक सीरीज (Mythological series) रामायण दर्शकों के दिलों में खास जगह रखती है. 1987 से 1988 के बीच डीडी नेशनल पर प्रसारित यह शो कल्ट-क्लासिक बन गया था और इसने कई एक्टर- एक्ट्रेस को घर-घर में मशहूर कर दिया था  उनमें से एक थीं उर्मिला भट्ट, जिन्होंने इस शो में सीता की मां महारानी सुनैना की भूमिका निभाई थी. उन्होंने अपनी एक्टिंग से काफी प्रशंसा बटोरी थी.बता दें, वह उन दिनों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं, जिन्होंने गुजरात, राजस्थान और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम किया था. वहीं जब उनका निधन हुआ था, तब पूरी फिल्म इंडस्ट्री को काफी झटका लगा था, दरअसल उनकी हत्या काफी बेरहमी से हुई थी और खून से लथपथ लाश उनके घर पर मिली थी. आइए जानते हैं इस बारे में..
 

कैसे हुई थी उर्मिला भट्ट की हत्या

22 फरवरी, 1997 को भट्ट की हत्या उनके जुहू स्थित आवास पर की गई थी. पुलिस के अनुसार, उनकी मौत का पता दूसरे दिन चला, जब उनके दामाद ने उनसे मुलाकात की और पाया कि किसी ने भी दरवाजे की घंटी नहीं बजाई. जिसके बाद दामाद ने तुरंत अपनी पत्नी को बुलाया और फिर दोनों ने पाया कि घर पर छापा मारा गया है और उनकी मां को लुटेरों ने मार डाला है. पुलिस को भी संदेह है कि लूटपाट की वजह से ऐसा हुआ है और गला रेतकर हत्या की गई है. बता दें, जब उनके दामाद और बेटी घर पहुंचे थे, तब सामान बिखरा हुआ था और उर्मिला का शव जमीन पर पड़ा हुआ था. देखने से साफ लग रहा था कि हत्या काफी बेरहमी से की गई है. हालांकि वह गुंडे आज भी पकड़े नहीं गए हैं और उनकी हत्या आज भी एक रहस्य बनी हुई है.
 

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वह घर पर अकेली थीं और उनके पति बड़ौदा गए हुए थे.  63 साल की उम्र में उर्मिला की मृत्यु हो गई. वर्तमान में उनके परिवार में उनके पति, एक बेटा और एक बेटी हैं. बता दें, उनकी मृत्यु पूरे मनोरंजन जगत के लिए एक सदमा थी.

जानें- उर्मिला भट्ट के बारे में

1 नवंबर 1993 को जन्मी उर्मिला ने एक थिएटर कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया और बाद में राजकोट में संगीत कला अकादमी में लोक नर्तकी और गायिका के रूप में शामिल हुईं. वह अपने गुजराती नाटक जेसल तोरण से प्रसिद्ध हुई थी. इसके बाद उर्मिला ने 75 से ज्यादा गुजराती फिल्मों और 15-20 से ज्यादा राजस्थानी फिल्मों में काम किया था.

1960 के दशक के अंत में, उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और सूंघुर्श (1968) और हमराज (1967) जैसी फिल्में की थी. उनके द्वारा की गई कुछ अन्य प्रसिद्ध फिल्में हैं, अंखियों के झरोखों से (1978), गीत गाता चल (1975), बेशरम (1978), राम तेरी गंगा मैली (1985), बालिका बधू (1976), धुंध.

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