'बेवकूफ डॉग लवर्स', आवारा कुत्तों के सपोर्टर पर भड़के राम गोपाल वर्मा, हालात कंट्रोल करने के बताए 7 उपाय

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजने की चर्चा हो रही है. इस मामले में देश में बड़ी बहस छिड़ गई है और लोग सड़क पर उतर आए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
आवारा कुत्तों के सपोर्टर पर भड़के राम गोपाल वर्मा
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजने की चर्चा हो रही है. इस मामले में देश में बड़ी बहस छिड़ गई है और लोग सड़क पर उतर आए हैं. डॉग लवर्स को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बिल्कुल भी नहीं भाया है और कई बॉलीवुड और साउथ स्टार्स ने भी कोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज कराई है. इस बीच फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा भी इस मुद्दे पर बार-बार अपनी राय रख रहे हैं. राम गोपाल वर्मा ने कोर्ट के इस फैसले को सही ठहराया और अपनी राय रखी थी. अब डायरेक्टर ने अपने एक्स अकाउंट पर इस मामले में सिलसिलेवार कई पोस्ट जारी किये हैं.

कुत्तों के मुद्दे पर क्या बोले डायरेक्टर?

राम गोपाल वर्मा ने अपने एक्स अकाउंट में लिखा है, "अरे, तुम सब बेवकूफ डॉग लवर्स, क्या तुम इतने अंधे, बहरे और दिमागी तौर पर मरे हुए हो कि तुम सीसीटीवी वीडियो में बच्चों को काटते और मारते हुए नहीं देख सकते? क्या आप रेबीज के बढ़ते मामलों पर आधिकारिक रिपोर्ट नहीं पढ़ सकते? यह कॉमन सेंस है कि किसी भी आपात स्थिति में, आग, बाढ़, दंगा आदि- आप मूल कारणों और दीर्घकालिक समाधानों पर बहस करने से पहले तात्कालिक खतरों से निपटते हैं, लेकिन यहां, जब आवारा कुत्तों के दांत बच्चों के गले पर हैं, तो डॉग लवर दया और करुणा पर TED वार्ता आयोजित करना चाहते हैं".

उन्होंने आगे लिखा है, "सु्प्रीम कोर्ट का आदेश कोई अमूर्त नीतिगत टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह इस बात की स्पष्ट स्वीकृति है कि आवारा कुत्तों का खतरा बहुत बढ़ गया है और मानव जीवन को प्राथमिकता के आधार पर बचाना ही होगा, संभावित समाधानों पर विचार करें तो, लगभग 8 करोड़ कुत्तों का टीकाकरण ड्राइंग रूम में तो बहुत अच्छा लगता है, असल में, एक गली के कुत्ते को सुई लेकर दौड़ाकर देखें और उसे करोड़ों से गुणा करें, यह कोई योजना नहीं, बल्कि एक खराब स्क्रिप्ट होगी, और अगर टीका भी लग जाए, तो कुत्तों का दिमाग अचानक से हिरण जैसा नहीं हो जाएगा, क्योंकि वे बच्चों को नोच-नोच कर खा जाएंगे, बस फर्क इतना है कि अब बच्चों का गला काटा जाएगा, लेकिन रेबीज नहीं होगा".

डायरेक्टर ने बताए 7 उपाय 

स्कूलों, बाजारों, आवासीय सड़कों और मलिन बस्तियों के आसपास से आवारा कुत्तों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए, चाहे इसके तरीके या परिणाम कुछ भी हों.

कुत्तों के लिए दस्ता बनाना और उन्हें आक्रामक या बीमार कुत्तों पर नजर रखने के लिए जवाबदेह बनाना और किसी भी आक्रामक, पागल या हमलावर कुत्ते को तुरंत मार देना चाहिए, जब तक कि कोई कुत्ता प्रेमी उसे घर ले जाना न चाहे.

एनिमल बर्थ कंट्रोल दस्तों को युद्ध अभियान की तरह गंभीरता से बढ़ाना, न कि केवल सामान्य एनजीओ फोटो-ऑप बकवास के लिए, दस्ते के सदस्यों को उनके द्वारा नसबंदी और टीकाकरण की संख्या के आधार पर अवार्ड दिया जा सकता है.

Advertisement

अगर डॉग लवर्स को भोजन कराना ही है, तो उन्हें पंजीकरण कराना चाहिए और अनुमति प्राप्त करने के बाद ही निर्दिष्ट स्थानों पर भोजन देना चाहिए और वह भी सरकारी पर्यवेक्षक की उपस्थिति में.

सड़क किनारे बेतरतीब ढंग से भोजन खिलाना अवैध और दंडनीय बनाया जाना चाहिए. कर छूट, आवास प्रोत्साहन, या नगरपालिका शुल्क माफी आदि के साथ कुत्तों को गोद लेने को प्रोत्साहित करें.

Advertisement

उन डॉग लवर्स को नैतिक रूप से नीची नजर से देखने के लिए अभियान शुरू करें, जो विदेशी नस्लों को पसंद करते हैं (यह काम नहीं करेगा क्योंकि कुत्ता प्रेमी एक बदसूरत, गंदे और संभवतः बीमार कुत्ते को छूना नहीं चाहेंगे).

Featured Video Of The Day
Bihar Elections: NDA Seat Sharing से मांझी-कुशवाहा क्यों नाराज?